मोतिहारी: सरकारी स्कूल के मध्याह्न भोजन में निकला कीड़ा, हेडमास्टर का बयान चौंकाने वाला

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Samastipur News Bihar

बिहार के मोतिहारी के सरकारी स्कूलों में मध्याह्न भोजन (मिड-डे मील) की गुणवत्ता को लेकर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं। सुगौली और पीपरा के सरकारी स्कूलों में छात्रों को परोसे गए चावल में कीड़े पाए गए। इस घटना ने इलाके में हड़कंप मचा दिया है।

हेडमास्टर का चौंकाने वाला बयान

इस घटना पर पीपरा के राजकीय मध्य विद्यालय विशुनपुरा के प्रधानाध्यापक मोहम्मद हाकिम का बयान हर किसी को हैरान कर गया। उनका कहना है, “चावल में कीड़ा होता ही है।” यह गैरजिम्मेदाराना तर्क सुनकर लोगों में आक्रोश फैल गया है।

ग्रामीण युवकों ने कीड़े वाले चावल का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। इसके बाद प्रधानाध्यापक मोहम्मद हाकिम ने सफाई देते हुए कहा कि जबरदस्ती उनका वीडियो बनाकर वायरल किया गया। उन्होंने दावा किया कि बच्चों को खराब चावल नहीं परोसा गया।

प्रशासन का क्या कहना है?

जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) संजीव कुमार ने इस घटना पर कार्रवाई का भरोसा दिया है। उन्होंने बताया कि:

  1. खराब रखरखाव और पुराने चावल के कारण कीड़े लग सकते हैं।
  2. ऐसे चावल को बच्चों को नहीं परोसा जाना चाहिए। उन्हें नष्ट कर देना चाहिए।
  3. स्कूलों को निर्देश दिया गया था कि चावल का सही भंडारण करें, लेकिन इस मामले में लापरवाही स्पष्ट है।

स्कूलों में घटती गुणवत्ता का मुद्दा

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि पहले राजकीय मध्य विद्यालय विशुनपुरा में सबकुछ ठीक था। लेकिन हाल के दिनों में स्कूल की शैक्षणिक व्यवस्था और मध्याह्न भोजन की गुणवत्ता में गिरावट आई है।

ग्रामीणों का आरोप है कि हेडमास्टर मोहम्मद हाकिम स्कूल के सहायक शिक्षक शंकर सिंह के प्रभाव में काम करते हैं। शंकर सिंह को स्कूल समय में अमर्यादित कपड़ों में घूमते और सोते हुए देखा गया है।

जांच और कार्रवाई की मांग

जिला शिक्षा पदाधिकारी ने घटना पर संज्ञान लेते हुए दोषियों के खिलाफ जांच और कार्रवाई की बात कही है। उम्मीद है कि इस मामले में जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों पर जल्द कार्रवाई होगी।

सरकार और प्रशासन के लिए सवाल

  • क्या बच्चों को परोसे जाने वाले भोजन की नियमित जांच नहीं होती?
  • दोषियों पर सख्त कार्रवाई कब होगी?
  • ऐसे मामलों से बच्चों की सेहत को हो रहे नुकसान की जिम्मेदारी कौन लेगा?

यह घटना सिर्फ एक स्कूल की नहीं, बल्कि मिड-डे मील की गुणवत्ता को लेकर एक बड़े सवाल को जन्म देती है। सरकार और शिक्षा विभाग को इस मुद्दे को गंभीरता से लेना होगा।

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