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धर्म / Dussehra 2025: विजयादशमी का पर्व, अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक

Dussehra 2025: विजयादशमी का पर्व, अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक

Reported by: Ground Repoter | Written by: Sambhavi | Agency: SN Media Network
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दशहरा 2025: बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व खबर का सार AI ने दिया. न्यूज़ टीम ने रिव्यु किया.

  • यह पर्व भगवान राम द्वारा रावण वध और मां दुर्गा द्वारा महिषासुर संहार का प्रतीक है।
  • देशभर में रावण दहन, राम लीला और दुर्गा प्रतिमा विसर्जन धूमधाम से होता है।
  • दशहरा हमें नकारात्मकता त्यागकर अच्छाई और सत्य की राह पर चलने की प्रेरणा देता है।

Dussehra 2025: आज 1 अक्टूबर 2025 को देशभर में दशहरा धूमधाम से मनाया जा रहा है। इसे विजयादशमी भी कहा जाता है और यह पर्व अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक माना जाता है। हर साल नवरात्र के समापन के बाद दशमी तिथि को भगवान राम की विजय और माता दुर्गा की शक्ति की पूजा के रूप में यह पर्व मनाया जाता है।

दशहरा 2025 का धार्मिक महत्व

Dussehra 2025 Vijayadashami festival with Durga Puja and Mahishasura Mardini storyDussehra 2025: मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिलाई विजय

दशहरा का पर्व भारतीय Hindu festival में से एक प्रमुख त्योहार है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर धर्म की स्थापना की थी। रावण दहन की परंपरा इस पर्व की मुख्य विशेषता है। जगह-जगह मेले, Ram Lila और Ravana Dahan का आयोजन होता है, जिसमें हजारों लोग शामिल होते हैं।

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वहीं दूसरी मान्यता मां दुर्गा और महिषासुर की कथा से जुड़ी है। नौ दिन तक चले युद्ध के बाद माता दुर्गा ने महिषासुर मर्दिनी (Mahishasura Mardini) का रूप धारण कर राक्षस का वध किया और देवताओं को मुक्त कराया। इसलिए इस दिन देवी दुर्गा की मूर्तियों का विसर्जन भी किया जाता है।

विजयादशमी की पौराणिक कथाएँ और संदेश

Dussehra 2025 festival of victory of good over evil cultural heritageDussehra 2025: अच्छाई की बुराई पर जीत का पर्व

दशहरा से जुड़ी दो मुख्य festival stories प्रचलित हैं। पहली, भगवान श्रीराम द्वारा रावण का वध और दूसरी, मां दुर्गा द्वारा महिषासुर का संहार। इन दोनों कथाओं से यह शिक्षा मिलती है कि चाहे बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, अंत में जीत हमेशा अच्छाई की ही होती है।

इसी कारण दशहरा को festival of victory भी कहा जाता है। यह त्योहार हमें बताता है कि धर्म, सत्य और न्याय की राह कठिन जरूर हो सकती है, लेकिन सफलता उन्हीं को मिलती है जो सद्मार्ग पर चलते हैं। यही कारण है कि इसे cultural heritage और आध्यात्मिक spiritual celebration के रूप में पूरी दुनिया में मान्यता मिली है।

आज के समय में दशहरा का महत्व

आज के दौर में दशहरा केवल धार्मिक पर्व ही नहीं, बल्कि समाज को प्रेरणा देने वाला religious festival है। इस दिन हम अपने जीवन से नकारात्मकता को दूर करने और सकारात्मकता को अपनाने का संकल्प लेते हैं।

बच्चों के लिए यह त्योहार mythology और परंपराओं को जानने का एक अवसर है। वहीं बड़े-बुजुर्गों के लिए यह त्यौहार परिवार, समाज और संस्कृति को एकजुट करने का माध्यम है। इस दिन मंदिरों, पूजा-पंडालों और रामलीला मैदानों में भारी भीड़ उमड़ती है।

देश के अलग-अलग हिस्सों में दशहरे को अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। कहीं Durga Puja का विसर्जन होता है, तो कहीं रावण दहन, लेकिन हर जगह यह पर्व एक ही संदेश देता है—victory of good over evil

दशहरा का पर्व हमें यह सीख देता है कि जीवन में कठिनाइयाँ कितनी भी बड़ी क्यों न हों, अंत में जीत सदैव धर्म, सत्य और अच्छाई की होती है। यह त्योहार भारतीय Indian traditions और आस्था का अभिन्न हिस्सा है।

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Sambhavi
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मैं शम्भावी हूँ, samastipurnews.in में एक कंटेंट राइटर हू। मैं ज्योतिष और धर्म के साथ-साथ सामाजिक मुद्दों, जीवनशैली और सांस्कृतिक विषयों पर भी लिखती हूँ। मेरा लक्ष्य हमेशा अपने लेखों के ज़रिए हर विषय पर पाठकों को सही और विस्तृत जानकारी देना होता है। ...और पढ़ें


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First Published : अक्टूबर 1, 2025, 12:59 अपराह्न IST

धर्म / Dussehra 2025: विजयादशमी का पर्व, अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक