Diwali Bhog 2025: आज 18 अक्टूबर 2025 को पूरे देश में दीपावली की तैयारियां जोरों पर हैं। हर घर में साफ-सफाई, सजावट और पूजा की तैयारी चल रही है। लेकिन दिवाली की पूजा तब तक अधूरी मानी जाती है जब तक माता लक्ष्मी, भगवान गणेश और भगवान कुबेर को श्रद्धा से भोग न लगाया जाए। इस मौके पर जानते हैं कि दिवाली के दिन कौन-कौन से 7 भोग चढ़ाने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और घर में धन-समृद्धि बनी रहती है।
दिवाली का महत्व और देवी-देवताओं की आराधना
Diwali 2025 को पूरे भारत में प्रकाश और समृद्धि का पर्व कहा गया है। यह दिन अंधकार पर प्रकाश, बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन लोग घरों को दीपों और रंगोली से सजाते हैं और माता लक्ष्मी के स्वागत की तैयारी करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन जो भक्त सच्चे मन से Diwali Bhog अर्पित करता है, उसके घर से कभी दरिद्रता नहीं जाती। भगवान गणेश बुद्धि और शुभता के देवता हैं, जबकि भगवान कुबेर धन के स्वामी माने जाते हैं। इसीलिए इन तीनों की पूजा और भोग से जीवन में समृद्धि, सौभाग्य और सुख की वृद्धि होती है।
दिवाली के 7 शुभ भोग: जो बनाते हैं माता को प्रसन्न
दिवाली पर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश को सात प्रकार के भोग लगाने की परंपरा प्रचलित है।
- चावल की खीर – माना जाता है कि खीर माता लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय है। इसका भोग लगाने से घर में अन्न और धन की वृद्धि होती है।
- लड्डू – भगवान गणेश को मोदक और लड्डू बहुत पसंद हैं। इसलिए लड्डू का भोग शुभ माना जाता है।
- धान का लावा – बिहार, झारखंड और बंगाल में यह विशेष रूप से दिवाली भोग में शामिल होता है। यह अन्न समृद्धि का प्रतीक है।
- गन्ना – यह मिठास और समृद्धि का प्रतीक है, इसे देवी-देवताओं के चरणों में रखना शुभ होता है।
- गुड़ की लापसी – यह भगवान कुबेर को प्रिय है, जिससे धन की वृद्धि होती है।
- पंचामृत – हर पूजा में आवश्यक, यह अमृत तुल्य माना जाता है।
- खिचड़ी – सात्त्विक भोग के रूप में दिवाली पर खिचड़ी का भी विशेष महत्व है।
पूजा का शुभ मुहूर्त और तैयारी
Diwali की पूजा के लिए शाम का समय सबसे शुभ माना गया है। इस वर्ष 2025 में, लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त संध्या 6:35 बजे से 8:12 बजे तक रहेगा। इस समय दीपक जलाना, घर के हर कोने में प्रकाश फैलाना और देवी-देवताओं को भोग अर्पित करना अत्यंत शुभ फलदायी माना गया है। पूजा से पहले घर की साफ-सफाई, दरवाज़े पर तोरण, और मुख्य द्वार पर दीप जलाने की परंपरा घर में सकारात्मक ऊर्जा लाती है।
दिवाली का यह पर्व सिर्फ धार्मिक दृष्टि से नहीं, बल्कि पारिवारिक और सामाजिक जुड़ाव का प्रतीक भी है। समय चाहे जैसा भी हो, इस पर्व का महत्व सदियों से अटल है — और यही इसे Festival बनाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भोग का महत्व
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भोग लगाना ईश्वर के प्रति आभार और श्रद्धा प्रकट करने का तरीका है। जब आप सच्चे मन से माता लक्ष्मी और भगवान गणेश को भोग लगाते हैं, तो वे आपकी भक्ति से प्रसन्न होकर जीवन में सुख और सफलता का आशीर्वाद देते हैं। इसी मान्यता के चलते, दिवाली के भोग को घर-घर में विशेष महत्व दिया जाता है।
इस अवसर पर लोग अपने परिवार के साथ पूजा करते हैं, मिठाइयाँ बाँटते हैं और दान-पुण्य भी करते हैं। यह न केवल भक्ति का प्रतीक है बल्कि समाज में एकता और प्रेम का संदेश भी देता है।
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