Chhath Puja Sun Rise Time 2025: छठ महापर्व बिहार, झारखंड और उत्तर भारत के लाखों श्रद्धालुओं के लिए आस्था का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। इस साल Chhath Puja 2025 का शुभ पर्व 25 अक्टूबर, शनिवार से प्रारंभ होगा और 28 अक्टूबर, मंगलवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न होगा। इस दौरान भक्तजन सूर्य देव और छठ मईया की आराधना कर परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।
Chhath Puja Sun rise Time 2025: कब और कैसे करें उषा अर्घ्य (Usha Arghya) अर्पण
छठ पूजा का अंतिम दिन उषा अर्घ्य के लिए सबसे पवित्र माना जाता है। इस दिन सुबह व्रती महिलाएं घाट पर जाकर जल में खड़ी होकर सूर्य की पहली किरण को अर्घ्य देती हैं। धार्मिक परंपरा के अनुसार, Surya Dev Worship से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि आती है।
2025 में Chhath Puja Usha Arghya Time 28 अक्टूबर की सुबह होगा। ज्योतिषियों के अनुसार, उस दिन सूर्योदय का समय कुछ इस प्रकार रहेगा —
- पटना: 6:03 AM
- रांची: 5:58 AM
- मुजफ्फरपुर: 6:02 AM
- गया: 6:01 AM
- दिल्ली: 6:38 AM
- भागलपुर: 5:59 AM
व्रतधारी महिलाएं इस समय के दौरान जल, दूध और फूल से सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं और पारंपरिक Chhath Puja Rituals का पालन करती हैं।
Chhath Puja 2025 Rituals: उगते सूर्य को अर्घ्य देने की सही विधि
छठ पूजा के Auspicious Time Chhath Puja के दौरान सूर्य को अर्घ्य देना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन व्रती महिला लाल वस्त्र धारण करती हैं और पूरे विधि-विधान से पूजा करती हैं।
अर्घ्य देने की प्रक्रिया इस प्रकार है —
- सूर्योदय से पहले स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनें।
- जलाशय या नदी के किनारे जाकर खड़े हों।
- सूर्य देव के उदय होते ही जल में खड़े होकर दूध और जल से अर्घ्य दें।
- सूर्य चालीसा और वैदिक मंत्रों का पाठ करें।
- धूप, दीप और कपूर से सूर्य देव की आरती करें।
- अंत में परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की दीर्घायु की प्रार्थना करें।
यह विधि सदियों से Chhath Puja surya puja time में सबसे पवित्र मानी जाती है। पूजा के अंत में व्रतधारी महिलाएं प्रसाद का वितरण करती हैं और व्रत का पारण करती हैं।
कब है Chhath Puja 2025 की पूरी तारीखें
2025 में छठ पूजा का पर्व चार दिनों तक मनाया जाएगा —
- 25 अक्टूबर (शनिवार): नहाय-खाय (स्नान और सात्विक भोजन)
- 26 अक्टूबर (रविवार): खरना, शाम को प्रसाद ग्रहण कर व्रत आरंभ
- 27 अक्टूबर (सोमवार): संध्या अर्घ्य (डूबते सूर्य को अर्घ्य)
- 28 अक्टूबर (मंगलवार): उषा अर्घ्य (उगते सूर्य को अर्घ्य) और व्रत का समापन
इन चार दिनों में हर रस्म का अपना धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व है। विशेष रूप से उगते सूर्य को दिया गया अर्घ्य, Chhath Puja surya uday time का सबसे महत्वपूर्ण क्षण होता है।
धार्मिक आस्था और पर्यावरण से जुड़ा पर्व
छठ पूजा केवल धार्मिक पर्व ही नहीं, बल्कि यह पर्यावरण और सूर्य ऊर्जा का भी उत्सव है। लोग इस दिन जलाशयों की सफाई करते हैं और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। यह पर्व आत्मसंयम, पवित्रता और प्रकृति के प्रति सम्मान की भावना सिखाता है।
आज के आधुनिक समय में भी अध्यात्म News की सुर्खियों में छठ पूजा का महत्व बना रहता है, क्योंकि यह न केवल एक धार्मिक परंपरा है बल्कि भारतीय संस्कृति की पहचान है।
छठ पूजा के कुछ खास नियम और सावधानियां
- व्रत के दौरान नमक और तेल का सेवन नहीं करें।
- पूजा सामग्री में केवल प्राकृतिक वस्तुओं का प्रयोग करें।
- सूर्य अर्घ्य के समय पांव जल में रखें और लोटा सिर के नीचे से उठाएं।
- पूजा के समय मन को शांत और भावनाओं से पूर्ण रखें।
- व्रत के दौरान झूठ, छल या विवाद से दूर रहें।
इन नियमों का पालन करने से Chhath Puja Rules के अनुसार पूजा पूर्ण होती है और व्रती को आशीर्वाद प्राप्त होता है।
छठ पूजा का हर क्षण भक्ति और अनुशासन का प्रतीक है। चाहे वह Chhath Puja 2024 Sun rise Time की बात हो या 2025 के उगते सूर्य का स्वागत, यह पर्व भारतीय संस्कृति की गहराई को दर्शाता है। हर वर्ष करोड़ों लोग अपनी आस्था के साथ इस महापर्व में भाग लेते हैं और सूर्य देव से अपने परिवार की मंगलकामना करते हैं।
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