बिहार में एक बार फिर शिक्षक भर्ती घोटाला सुर्खियों में है। इस बार दो शिक्षकों के फर्जी शिक्षक प्रशिक्षण प्रमाणपत्र सामने आए हैं। इन दोनों ने नियुक्ति के समय एक ही संस्थान से जारी प्रमाण पत्र जमा किए थे। गुवाहाटी, असम के इस संस्थान ने अब खुलासा किया है कि इन प्रमाणपत्रों का उनके संस्थान से कोई लेना-देना नहीं है।
सीतामढ़ी जिले के इन शिक्षकों ने 18 साल तक अवैध रूप से नौकरी की, लेकिन अब सच्चाई सामने आ गई है। इस मामले में निगरानी विभाग के डीएसपी कन्हैया लाल ने जांच के बाद बथनाहा और बेलसंड थानों में इन शिक्षकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की सिफारिश की है।
शिक्षक भर्ती घोटाला :शिक्षक भर्ती घोटाले की यह घटना बताती है कि किस तरह फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सरकारी नौकरियों में लोग प्रवेश कर रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
यह मामला सामने आने के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा हुआ है और अब अन्य शिक्षकों के दस्तावेजों की भी जांच की जा रही है।
निष्कर्ष: बिहार में शिक्षक भर्ती घोटाले का यह मामला एक गंभीर चुनौती के रूप में सामने आया है। अब देखने वाली बात यह है कि सरकार और प्रशासन इस पर क्या कदम उठाते हैं।
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