होमवर्क न करने पर टीचर की पिटाई से छात्र की आंखों की रोशनी गई, अरवल में मामला दर्ज

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पटना: बिहार के अरवल जिले में एक शिक्षक द्वारा छात्र की बेरहमी से पिटाई करने का मामला सामने आया है। आरोप है कि होमवर्क पूरा न करने पर शिक्षक ने पांचवीं कक्षा के छात्र को इस कदर पीटा कि उसकी एक आंख की रोशनी चली गई। यह घटना हिमालयन आवासीय विद्यालय, उमेंराबाद में हुई।

बीमारी के कारण छूटा होमवर्क बना सजा का कारण

पीड़ित छात्र, अमृत राज, हाल ही में बीमार था और इस दौरान स्कूल नहीं जा सका। इसके चलते उसे होमवर्क के बारे में जानकारी नहीं मिल सकी। शिकायत के अनुसार, जब वह स्कूल लौटा और होमवर्क अधूरा पाया गया, तो शिक्षक ने छड़ी से उसकी पिटाई शुरू कर दी। पिटाई के दौरान आंखों में गहरी चोट लगने के कारण छात्र को तत्काल अस्पताल ले जाया गया, जहां से उसे पटना के IGIMS नेत्र विभाग रेफर कर दिया गया।

चिकित्सकीय रिपोर्ट में ‘लो विजन’ और रेटिना की समस्या

पटना के डॉक्टरों ने जांच के बाद बताया कि छात्र की आंख में गंभीर चोट के कारण लो विजन और रेटिना की समस्या हो गई है। डॉक्टरों के अनुसार, आंख पर गहरा आघात होने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई।

पिता ने दर्ज कराई शिकायत, शिक्षक पर कार्रवाई की मांग

पीड़ित छात्र के पिता, संजीत कुमार, जो स्वयं एक शिक्षक हैं और रामपुर चौरम थाना क्षेत्र के सरौती गांव के निवासी हैं, ने आरोपी सहायक शिक्षक प्रिंस कुमार के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है।

स्कूल प्रबंधन पर भी उठे सवाल

स्कूल प्रबंधन ने भी इस मामले में अभिभावकों पर आरोप लगाया है। विद्यालय ने पुलिस को बताया कि इस विवाद के बाद विद्यालय प्रशासन को रंजीत सिंह और उनकी पत्नी द्वारा स्कूल स्टाफ से बदसलूकी का सामना करना पड़ा।

पुलिस जांच जारी, शिक्षक और प्रधानाध्यापक पर केस दर्ज

सदर थाने में स्कूल के शिक्षक और प्रधानाध्यापक के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। पुलिस ने बताया कि मामले की गहन जांच की जा रही है और दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।

समाज के लिए सवाल

इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि स्कूलों में बच्चों के प्रति शिक्षकों के व्यवहार और अनुशासन के नाम पर दी जाने वाली सजा की सीमा क्या होनी चाहिए। घटना ने अभिभावकों और शिक्षकों के बीच विश्वास की डोर को कमजोर किया है।

सरकार और प्रशासन के लिए यह जरूरी है कि ऐसे मामलों को रोकने के लिए कठोर नियम बनाए जाएं और बच्चों के प्रति हिंसात्मक व्यवहार करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं।

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