पटना: बिहार के सरकारी स्कूलों में अब शिक्षक बच्चों को "गधा," "उल्लू," या "मंदबुद्धि" जैसे शब्दों से नहीं पुकार सकेंगे। शिक्षा विभाग ने इस बारे में कड़ा निर्देश जारी करते हुए कहा है कि किसी भी छात्र का मजाक उड़ाना, नाम बिगाड़कर बोलना या उन्हें अपमानित करने वाले शब्दों का इस्तेमाल पूरी तरह से बैन रहेगा।
छात्रों के आत्म-सम्मान पर होता है बुरा असर
अक्सर देखा गया है कि स्कूलों में शिक्षक या छात्र कमजोर बच्चों को गधा या उल्लू जैसे शब्दों से पुकारते हैं। यहां तक कि बच्चों के नाम भी बिगाड़कर बोला जाता है, जैसे "आलोक" को "आलोकवा" कह देना। ऐसे शब्दों से बच्चों के आत्म-सम्मान को ठेस पहुंचती है और उनकी पढ़ाई पर भी बुरा असर पड़ता है। शिक्षा विभाग ने अब ऐसे व्यवहार पर पूरी तरह रोक लगाने का फैसला किया है।
कमजोर छात्रों को भी मिलेगा मॉनीटर बनने का मौका
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अब सरकारी स्कूलों में मॉनीटर बनने का मौका सिर्फ पढ़ाई में तेज छात्रों को ही नहीं, बल्कि कमजोर छात्रों को भी मिलेगा। हर महीने रोटेशन के आधार पर मॉनीटर बदला जाएगा, जिससे सभी बच्चों को नेतृत्व करने का मौका मिले। इससे कमजोर छात्र भी आत्मविश्वास के साथ अपनी जिम्मेदारियां निभा सकेंगे।
छात्र भी करेंगे शिक्षकों का मूल्यांकन
अभिभावक-शिक्षक मीटिंग में अब केवल शिक्षक ही नहीं, बल्कि छात्र भी अपने शिक्षकों के बारे में फीडबैक देंगे। बच्चे बताएंगे कि कौन से शिक्षक अच्छे से पढ़ाते हैं और किन्हें सुधार की जरूरत है। इसके आधार पर जिन शिक्षकों को अधिक ट्रेनिंग की आवश्यकता होगी, उन्हें अतिरिक्त प्रशिक्षण दिया जाएगा।
शिक्षा और अनुशासन में सुधार की दिशा में बड़ा कदम
इन बदलावों से स्कूलों का माहौल बेहतर होगा। अब बच्चे बिना किसी डर के स्कूल में पढ़ाई कर सकेंगे और उनका आत्म-सम्मान सुरक्षित रहेगा।
मुख्य बातें:
- अपमानजनक शब्दों और नाम बिगाड़ने पर रोक।
- कमजोर छात्रों को भी मॉनीटर बनने का मौका।
- छात्र अब अभिभावक-शिक्षक मीटिंग में अपने शिक्षकों का फीडबैक देंगे।
- जरूरतमंद शिक्षकों को अतिरिक्त ट्रेनिंग दी जाएगी।
इस कदम से स्कूलों में बच्चों के आत्म-सम्मान की रक्षा होगी और पढ़ाई का माहौल पहले से बेहतर बनेगा।
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