बिहार न्यूज़: परदेस लौट रहे बिहारियों को महावीर मंदिर से मिल रहा मुफ्त अल्पाहार, पटना जंक्शन पर रोजाना 10 हजार पैकेट वितरण

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बिहार के लाखों प्रवासी छठ महापर्व पर हर साल अपने घर लौटते हैं और पर्व समाप्त होने के बाद अपने काम पर वापस जाते हैं, जिससे ट्रेनों में भारी भीड़ हो जाती है। ऐसे ही यात्रियों के लिए पटना के प्रसिद्ध महावीर मंदिर ने नि:शुल्क अल्पाहार की विशेष व्यवस्था की है, जो 9 नवंबर से शुरू की गई है।

महावीर मंदिर की नि:शुल्क सेवा

महावीर मंदिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि छठ महापर्व के बाद परदेस लौट रहे यात्रियों के लिए पटना जंक्शन पर निःशुल्क अल्पाहार वितरण किया जा रहा है। इस सेवा के तहत रोजाना 10,000 अल्पाहार पैकेट वितरित किए जा रहे हैं, जिसमें बिहार से दूसरे प्रदेशों में लौट रहे मजदूर, नौकरीपेशा और अन्य लोग लाभान्वित हो रहे हैं।

क्या है पैकेट में

प्रत्येक अल्पाहार पैकेट में सत्तू भरी हुई दो खस्ता लिट्टी और एक बड़ा गाजा शामिल है, जिसे बंद डिब्बे में पैक कर पटना जंक्शन के विभिन्न प्लेटफॉर्मों पर यात्रियों के बीच वितरित किया जा रहा है। मुख्य रूप से सामान्य और स्लीपर क्लास के यात्रियों को इस सेवा का लाभ मिल रहा है।

सेवा का संचालन

महावीर मंदिर के नैवेद्यम प्रभारी आर. शेषाद्री के निर्देशन में हर दिन 10,000 अल्पाहार पैकेट तैयार किए जा रहे हैं। मंदिर के नैवेद्यम कारीगर इसे विशेष रूप से तैयार कर रहे हैं, ताकि सभी यात्रियों को स्वच्छ और स्वादिष्ट नाश्ता मिल सके।

लौटते यात्रियों के लिए राहत

आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि पटना जंक्शन पर भारी भीड़ के चलते यात्रियों को अल्पाहार वितरण के लिए रेलकर्मियों और अधिकारियों का भी सहयोग लिया जा रहा है। यह सेवा विशेष रूप से छठ के बाद पटना से लौटने वाले उन यात्रियों को ध्यान में रखकर शुरू की गई है, जो लंबी यात्रा में आसानी से भोजन की व्यवस्था नहीं कर पाते।

कब तक चलेगी यह सेवा?

यह नि:शुल्क अल्पाहार वितरण सेवा अगले कुछ दिनों तक भीड़ को ध्यान में रखते हुए जारी रहेगी। अनुमान है कि लगभग 50,000 या उससे अधिक यात्रियों के बीच अल्पाहार के पैकेट बांटे जाएंगे। पिछले साल भी महावीर मंदिर ने इसी तरह की सेवा के तहत यात्रियों को निःशुल्क नाश्ता वितरित किया था।

बिहारियों के प्रति विशेष लगाव

महावीर मंदिर का यह प्रयास न केवल उन यात्रियों को राहत प्रदान करता है जो अपनी मेहनत और कड़ी मेहनत से राज्य के बाहर जीवन यापन करते हैं, बल्कि यह यह संदेश भी देता है कि बिहार की माटी से जुड़े लोग अपने देशवासी भाई-बहनों के लिए हमेशा सेवा में तत्पर रहते हैं।

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