बिहार के गोपालगंज जिले में बाल विवाह का एक मामला सामने आया, जहां प्रशासन ने समय पर हस्तक्षेप कर एक किशोरी की शादी रोक दी। शादी की तैयारियां जोरों पर थीं, लेकिन जिला बाल संरक्षण इकाई की टीम ने मौके पर पहुंचकर इस बाल विवाह को रुकवाया।
बारात आने से पहले रुकी शादी
यह मामला गोपालगंज जिले के सिधवलिया थाना क्षेत्र के एक गांव का है।
- शुक्रवार की शाम बारात आने वाली थी।
- घर में शादी की तैयारियां चल रही थीं, लेकिन प्रशासन की टीम ने मौके पर पहुंचकर विवाह स्थल को सील कर दिया।
- लड़की के परिजनों से बांड भरवाया गया, जिसमें लिखा गया कि शादी तभी होगी, जब लड़की 18 साल की हो जाएगी।
कैसे मिला बाल विवाह का सुराग?
इस घटना की जानकारी चाइल्ड लाइन पटना को मिली थी।
- सूचना के आधार पर, जिला बाल संरक्षण इकाई ने महिला एवं बाल विकास निगम की टीम को भेजा।
- टीम ने लड़की की उम्र का सत्यापन करने के लिए परिजनों से दस्तावेज मांगे।
- परिजन वैध दस्तावेज पेश नहीं कर सके, जिसके बाद लड़की को उम्र परीक्षण के लिए अस्पताल भेजा गया।
बाल विवाह निषेध कानून के तहत कार्रवाई
पटना से पहुंची टीम ने परिजनों को बताया कि बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत यह एक दंडनीय अपराध है।
- टीम में शामिल डीपीएम कुणाल कुमार सिंह और वन स्टॉप सेंटर की प्रशासक नाजिया मुमताज ने शादी रुकवाने में अहम भूमिका निभाई।
- अधिकारियों ने परिजनों को चेतावनी दी कि बाल विवाह कराने पर उन्हें जेल की सजा हो सकती है।
परिवार ने किया बाल विवाह रोकने का वादा
लड़की के परिजनों से आधिकारिक बांड भरवाया गया, जिसमें उन्होंने 18 साल की उम्र पूरी होने से पहले शादी न कराने का वादा किया।
- प्रशासन ने इस घटना की सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दी और इस तरह एक बाल विवाह को समय रहते रोक लिया गया।
बाल विवाह के खिलाफ सरकार की सख्ती
बिहार सरकार और प्रशासन बाल विवाह के मामलों को रोकने के लिए सख्त कदम उठा रहा है। इस तरह के मामलों में चाइल्ड लाइन और जिला बाल संरक्षण इकाई महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
Sonu Kumar, samastipurnews.in
यह घटना दिखाती है कि जागरूकता और सही समय पर की गई कार्रवाई से समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है।
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