बिहार चुनाव 2025 Tejashwi Yadav के सामने सबसे बड़ा मौका, पर चुनौतियां भी कम नहीं

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बिहार की राजनीति में इस वक्त सबसे ज्यादा चर्चा तेजस्वी यादव की है। लालू प्रसाद यादव के उत्तराधिकारी के रूप में Tejashwi Yadav पहले ही दो बार डिप्टी सीएम रह चुके हैं। अब अगला लक्ष्य मुख्यमंत्री की कुर्सी है। आने वाले Bihar election में माहौल उनके पक्ष में दिख रहा है, लेकिन राजनीतिक समीकरण और आंतरिक चुनौतियां इस राह को मुश्किल भी बना सकती हैं।

लालू प्रसाद यादव का अनुभव और मजबूत Grand Alliance

तेजस्वी यादव के लिए सबसे बड़ी ताकत उनके पिता Lalu Prasad Yadav का साथ है। 2020 के चुनाव में लालू यादव रांची जेल में थे, लेकिन इस बार वह बिहार में सक्रिय हैं और पूरी ताकत झोंक रहे हैं। महागठबंधन यानी Grand Alliance की रणनीति भी पूरी तरह तेजस्वी यादव के हाथों में है।

नीतीश कुमार की उम्र, सत्ता-विरोधी लहर और बीजेपी की कमजोर रणनीति के कारण विपक्ष को बड़ा फायदा मिल सकता है। महागठबंधन में कांग्रेस, वाम दल और अन्य पार्टियों के जुड़ने से समीकरण और भी मजबूत दिख रहे हैं।

नीतीश कुमार और बीजेपी की मुश्किलें

लंबे समय से मुख्यमंत्री रहने के कारण Nitish Kumar के खिलाफ सत्ता-विरोधी लहर बढ़ रही है। वहीं, बीजेपी अब तक बिहार में नीतीश कुमार की बराबरी का कोई चेहरा खड़ा नहीं कर पाई है।

कास्ट सर्वे के मुद्दे ने भी बिहार की राजनीति को गर्मा दिया है। तेजस्वी यादव लगातार इस मुद्दे पर सरकार को घेरते रहे हैं। यही वजह है कि Bihar election 2025 में जातीय समीकरण सबसे बड़ा फैक्टर साबित हो सकता है।

राहुल गांधी और विपक्ष की भूमिका

कांग्रेस नेता Rahul Gandhi भी इस बार बिहार पर खास ध्यान दे रहे हैं। उनकी यात्राएं और महागठबंधन के समर्थन से विपक्ष को ताकत मिल रही है। हालांकि, आरजेडी के भीतर कन्हैया कुमार Kanhaiya Kumar और Pappu Yadav जैसे नेताओं की भूमिका को लेकर मतभेद भी सामने आ रहे हैं। अगर लालू यादव और तेजस्वी इन नेताओं को साथ लेकर चलते हैं, तो बीजेपी के खिलाफ मजबूत मोर्चा खड़ा हो सकता है।

तेज प्रताप यादव और आंतरिक चुनौतियां

Bihar Election 2025 Campaign With Tejashwi Yadav, Rahul Gandhi, Nitish Kumar
बिहार चुनाव 2025 के दौरान तेजस्वी यादव और राहुल गांधी की साझा रैली, नीतीश कुमार की चुनौती के बीच।

बाहरी चुनौतियों के साथ-साथ तेजस्वी यादव के सामने आंतरिक मुश्किलें भी हैं। Tej Pratap Yadav का परिवार में बढ़ता असंतोष और मीसा भारती की सक्रिय राजनीति, नेतृत्व को लेकर सवाल खड़े कर सकती है। अगर महागठबंधन जीत जाता है और तेजस्वी मुख्यमंत्री बन जाते हैं, तो तेज प्रताप का राजनीतिक भविष्य कमजोर हो सकता है। लेकिन अगर चूक हो गई, तो आरजेडी के भीतर ही नेतृत्व पर संकट आ सकता है।

चुनावी रणनीति और सोशल मीडिया का बढ़ता असर

तेजस्वी यादव ने इस बार चुनावी रणनीति के लिए अनुभवी टीम तैयार की है। संजय यादव जैसे लोग अब सिर्फ सोशल मीडिया तक सीमित नहीं हैं, बल्कि चुनावी बैठकों और रणनीति में भी अहम भूमिका निभा रहे हैं। सोशल मीडिया कैंपेन, ग्राउंड लेवल पर गठबंधन की मजबूती और लालू यादव का करिश्मा ये तीनों फैक्टर इस चुनाव में निर्णायक साबित हो सकते हैं।

नतीजे करो या मरो का चुनाव

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि तेजस्वी यादव के लिए यह चुनाव ‘करो या मरो’ की स्थिति है। अगर इस बार मौका चूक गए, तो अगले 5 साल में राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदल सकते हैं। फिलहाल हालात तेजस्वी के पक्ष में दिख रहे हैं, लेकिन अंतिम फैसला जनता के हाथ में है। बिहार की राजनीति में अगले कुछ महीनों में और भी बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं।

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