बिहार की राजनीति में एक बार फिर बड़ा फेरबदल होने जा रहा है। Bihar Election 2025 के मद्देनज़र मोकामा के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद सूरजभान सिंह अब राष्ट्रीय जनता दल (RJD) का दामन थामने जा रहे हैं। पहले शनिवार को उनके शामिल होने का कार्यक्रम तय था, लेकिन अब यह एक दिन के लिए टल गया है और रविवार को तेजस्वी यादव खुद उन्हें और उनके परिवार को पार्टी की सदस्यता दिलाएंगे। यह कदम बिहार की राजनीतिक दिशा को एक नए मोड़ पर ले जा सकता है।
सूरजभान सिंह का RJD में शामिल होना क्यों अहम है
सूरजभान सिंह, जो अभी तक RLJP के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष हैं, का RJD में शामिल होना बिहार की राजनीतिक समीकरणों को हिला सकता है। उनके साथ उनकी पत्नी वीणा देवी (पूर्व सांसद) और छोटे भाई चंदन सिंह भी लालटेन थामने जा रहे हैं। एक ही परिवार के तीन प्रभावशाली नेता का RJD में शामिल होना बिहार राजनीति में एक नया संतुलन ला सकता है।
जानकार मानते हैं कि यह कदम RJD की “A to Z Politics” रणनीति का हिस्सा है, जहां तेजस्वी यादव सभी जातियों और वर्गों को साथ लाने की कोशिश में हैं। यह रणनीति 2024 के लोकसभा चुनाव में कारगर साबित हुई थी, जब RJD ने कई अप्रत्याशित सीटों पर अच्छा प्रदर्शन किया था।
मोकामा की जंग फिर होगी रोमांचक
मोकामा विधानसभा क्षेत्र में यह लड़ाई पुराने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को फिर आमने-सामने ला सकती है। संभावना है कि वीणा देवी RJD के टिकट पर मोकामा से चुनाव लड़ेंगी, जहां उनका मुकाबला अनंत सिंह के परिवार से हो सकता है। यह मुकाबला 2000 के दशक की याद दिलाता है, जब सूरजभान सिंह ने जेल में रहते हुए भी अनंत सिंह के भाई दिलीप सिंह को चुनाव में पराजित किया था। अब एक बार फिर मोकामा की राजनीति चर्चा में है, और बिहारी वोटरों के बीच “Bahubali Leader बनाम “विकास की राजनीति” की बहस शुरू हो चुकी है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर RJD इस बार सूरजभान सिंह जैसे नेताओं को शामिल कर अपने Upper Caste Vote Bank में सेंध लगाती है, तो यह NDA के लिए एक चुनौतीपूर्ण स्थिति बन सकती है।
पारस को छोड़, तेजस्वी को चुना
सूरजभान सिंह लंबे समय से रामविलास पासवान के करीबी माने जाते थे और लोजपा (LJP) के बड़े नेता थे। लेकिन रामविलास पासवान के निधन के बाद पार्टी टूट गई और वह पशुपति पारस के खेमे में चले गए। 2024 के लोकसभा चुनाव में जब BJP ने पारस को किनारे किया, तब सूरजभान का राजनीतिक भविष्य अनिश्चित हो गया। अब उन्होंने तेजस्वी यादव को चुनकर संकेत दिया है कि उनकी नज़र 2025 के विधानसभा चुनाव पर है।
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