Bihar Election 2025 Digital War रणभेरी भले ही सड़कों और रैलियों पर धीमी दिख रही हो, लेकिन डिजिटल प्लेटफॉर्म पर राजनीतिक जंग अपने चरम पर है। सोशल मीडिया पर चल रही इस जंग में फेसबुक, इंस्टाग्राम और रील्स के ज़रिए हर पार्टी अपनी पकड़ मज़बूत करने की कोशिश कर रही है। इस डिजिटल वॉर में सैकड़ों पेज और लाखों फॉलोअर्स के जरिए एक-दूसरे पर हमले हो रहे हैं, समर्थकों की फौज तैयार की जा रही है और युवाओं को जोड़ा जा रहा है। यही वजह है कि इस बार के Bihar Election को ‘डिजिटल चुनाव’ कहा जा रहा है।
सोशल मीडिया पर तेज़ हो रही चुनावी बिसात
पिछले कुछ महीनों में बिहार की सियासत में सोशल मीडिया का महत्व कई गुना बढ़ गया है। फेसबुक और इंस्टाग्राम पर सैकड़ों पेज एक्टिव हो चुके हैं जो दिन-रात पोस्ट, रील्स और वीडियो के जरिए मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। 18 से ज़्यादा पेज लगातार नीतीश सरकार को घेर रहे हैं और विपक्ष के पक्ष में माहौल बना रहे हैं। वहीं, एनडीए के समर्थन में नौ बड़े पेज हैं, जिनके कुल मिलाकर 12 लाख से ज़्यादा फॉलोअर्स हैं। ये पेज बिहार के विकास कार्यों को उजागर कर रहे हैं और पुराने दौर से तुलना करते हैं।
युवाओं पर फोकस रखने वाले पेजों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। तेजस्वी यादव के समर्थन में कई पेज उनके डांस रील्स और पब्लिक इवेंट्स के वीडियो शेयर करते हैं, जिससे उन्हें एक ‘युवा नेता’ के तौर पर पेश किया जा सके। यह पूरा डिजिटल कैंपेन दिखाता है कि बिहार की सियासत अब रैलियों और पोस्टरों तक सीमित नहीं है।
माइक्रो मैसेजिंग और डिजिटल टूल्स का इस्तेमाल
पहले के चुनावों में सोशल मीडिया कैंपेन अक्सर आक्रामक और व्यक्तिगत हमलों से भरे होते थे। लेकिन इस बार माइक्रो मैसेजिंग पर ज्यादा जोर है। पार्टियां अब लोगों तक सटीक संदेश पहुंचाने के लिए डिजिटल टूल्स का इस्तेमाल कर रही हैं। फेसबुक, इंस्टाग्राम के अलावा X (पहले ट्विटर), यूट्यूब और टेलीग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर भी कैंपेन चल रहे हैं। यहां कंटेंट क्रिएटर्स और Social Media Influencer को भी जोड़ा जा रहा है ताकि संदेश तेजी से ज्यादा लोगों तक पहुंचे।
एनडीए समर्थक पेज ‘बोल बिहार बोल’ और ‘बिहार लाइव’ सरकार की उपलब्धियों को दिखा रहे हैं, जबकि विपक्ष के पेज बेरोज़गारी और महंगाई जैसे मुद्दों को उठा रहे हैं। इस बार का चुनाव पूरी तरह से ‘डिजिटल टूल्स बनाम ग्राउंड कैंपेन’ की तस्वीर पेश कर रहा है।
विपक्ष बनाम एनडीए: सोशल मीडिया पर सीधी टक्कर

विपक्षी दलों के समर्थक पेजों पर बीजेपी और नीतीश सरकार के खिलाफ लगातार पोस्ट डाले जा रहे हैं। ‘वॉयस ऑफ बिहार राहुल गांधी’ पेज, जिसके करीब 70 हज़ार फॉलोअर्स हैं, बीजेपी पर लगातार निशाना साध रहा है। दूसरी तरफ, एनडीए समर्थक पेज ‘बिहार लाइव’ और ‘25 में भी नीतीश’ जैसी टैगलाइन के साथ सरकार की स्थिरता और विकास के रिकॉर्ड को दिखा रहे हैं। छह लाख फॉलोअर्स वाला ‘बिहार लाइव’ पेज सड़क, बिजली और कृषि क्षेत्र में सरकार की उपलब्धियां गिनाता है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि इस बार सोशल मीडिया पर टक्कर सीधी है एक तरफ विपक्ष महंगाई और बेरोज़गारी के मुद्दे उठा रहा है, तो दूसरी तरफ एनडीए विकास और स्थिरता का दावा कर रहा है।
चुनाव प्रचार का बदलता चेहरा
Bihar news और Patna news के मुताबिक, बिहार की राजनीति में डिजिटल प्रचार का दायरा अब गांवों तक फैल चुका है। मेटा प्लेटफ़ॉर्म पर AI-जनरेटेड वीडियो की भरमार है, जो पहले कभी नहीं देखा गया। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह ट्रेंड आने वाले सालों में और तेज़ होगा। पहले जहां नेता रोड शो और रैलियों पर ज्यादा निर्भर रहते थे, अब सोशल मीडिया के जरिए सीधे मतदाताओं तक पहुंचने की रणनीति अपनाई जा रही है।
विशेष रूप से युवा मतदाता, जो रील्स और वीडियो ज्यादा देखते हैं, वे इस नए डिजिटल कैंपेन के मुख्य टारगेट हैं। यही कारण है कि राजनीतिक पार्टियां बड़े-बड़े इन्फ्लुएंसर से लेकर छोटे कंटेंट क्रिएटर तक को अपने साथ जोड़ रही हैं।
2025 में डिजिटल चुनाव की अहमियत
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि 2025 का चुनाव पूरी तरह से ‘डिजिटल बनाम ग्राउंड कैंपेन’ की परीक्षा है। AI-जनरेटेड कंटेंट, रील्स और वायरल पोस्ट यह दिखा रहे हैं कि सोशल मीडिया अब चुनावी प्रचार का सबसे बड़ा हथियार बन चुका है। ग्रामीण इलाकों में मोबाइल और इंटरनेट की पहुंच ने राजनीतिक दलों को नए अवसर दिए हैं। पहले जो संदेश अखबार या टीवी पर जाते थे, अब वे सीधे मोबाइल स्क्रीन तक पहुंच रहे हैं।
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सोशल मीडिया की यह ताकत वाकई मतदाताओं के फैसले को प्रभावित कर पाएगी या नहीं। लेकिन इतना तय है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म के बिना कोई भी पार्टी चुनावी मैदान में सफल नहीं हो सकती।
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