Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही राजनीतिक सरगर्मियां तेज़ हो गई हैं। इस बीच, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की रणनीति ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेतृत्व वाले महागठबंधन की चिंता बढ़ा दी है। ओवैसी की पार्टी ने आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में लगभग 100 सीटों पर अकेले दम पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है, लेकिन इसी के साथ उनके बड़े गठबंधन को लेकर भी अटकलें तेज हो गई हैं।
AIMIM का लक्ष्य: 100 सीटों पर चुनाव और तीसरे मोर्चे की तैयारी
AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने हाल ही में कहा कि पार्टी का मकसद है “बिहार में एक मज़बूत तीसरा विकल्प बनना।” उन्होंने दावा किया कि AIMIM अब NDA और महागठबंधन दोनों के लिए एक गंभीर चुनौती साबित होगी। पिछले विधानसभा चुनाव में AIMIM ने सीमांचल क्षेत्र में अपनी मजबूत पकड़ दिखाई थी और 5 सीटें जीतकर RJD को बड़ा नुकसान पहुंचाया था। यही वजह है कि इस बार RJD और कांग्रेस दोनों ओवैसी की रणनीति को लेकर सतर्क हैं।
तेज प्रताप यादव और बसपा के साथ संभावित गठबंधन की चर्चा
ओवैसी की रणनीति का एक अहम पहलू है तेज प्रताप यादव की नई पार्टी जनशक्ति जनता दल (JJD) और बहुजन समाज पार्टी (BSP) के साथ गठबंधन की संभावना। अगर यह गठबंधन होता है, तो यह तीसरा मोर्चा (Third Front) बन सकता है जो राजद और कांग्रेस के पारंपरिक एम-वाई (मुस्लिम-यादव) वोट बैंक को तोड़ सकता है। तेज प्रताप यादव के पास यादव वोटों का हिस्सा है, AIMIM के पास मुस्लिम वोट, और BSP के पास दलित वोट बैंक तीनों मिलकर एक बड़ा समीकरण बदलने वाला गठबंधन तैयार कर सकते हैं।
महागठबंधन से गठबंधन ठुकराने के बाद AIMIM का आक्रामक रुख
AIMIM नेताओं ने पहले महागठबंधन के साथ गठबंधन की इच्छा जताई थी, लेकिन RJD ने प्रस्ताव ठुकरा दिया।
RJD का कहना था कि
“अगर AIMIM बीजेपी को हराना चाहती है, तो वह बिना चुनाव लड़े महागठबंधन की मदद कर सकती है।”
इसके बाद ओवैसी की पार्टी ने आक्रामक रणनीति अपनाई, और अब 100 सीटों पर चुनाव लड़ने व तेज प्रताप यादव जैसे असंतुष्ट नेताओं से हाथ मिलाने की तैयारी में है।
सीमांचल पर ओवैसी की नज़र, महागठबंधन के वोट बैंक में सेंध
ओवैसी का पूरा ध्यान सीमांचल की मुस्लिम बहुल सीटों पर है, जहां वह मुस्लिम वोटों के बिखराव को रोकने और AIMIM को उनका एकमात्र राजनीतिक प्रतिनिधि बनाने की कोशिश में हैं। उनका यह कदम सीधे तौर पर आरजेडी और कांग्रेस के वोट बैंक को नुकसान पहुंचाएगा, जिससे अप्रत्यक्ष रूप से एनडीए को फायदा हो सकता है। ऐसे में बिहार चुनाव में ओवैसी की रणनीति ने मुख्य गठबंधनों की चुनावी गणित को उलझाकर रख दिया है।
बिहार चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने 100 सीटों पर लड़ने या तेज प्रताप यादव से हाथ मिलाकर ‘तीसरा मोर्चा’ बनाने का जो दांव चला है, वह राज्य की राजनीति में हलचल मचाने के लिए काफी है। ओवैसी का उद्देश्य खुद को मुस्लिम समुदाय के सच्चे प्रतिनिधि के रूप में स्थापित करना है, लेकिन इस प्रक्रिया में वह सीधे तौर पर महागठबंधन के आधार वोट बैंक को कमजोर कर रहे हैं, जिससे बिहार चुनाव का परिणाम और भी अनिश्चित हो गया है।
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