समस्तीपुर के सभी सरकारी स्कूलों की होगी GIS मैपिंग, एक क्लिक पर मिलेगी पूरी जानकारी

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Samastipur News Bihar

समस्तीपुर: जिले के सरकारी स्कूलों की सभी जानकारी अब डिजिटल नक्शे के माध्यम से उपलब्ध होगी। किस क्षेत्र में कौन-सा स्कूल स्थित है—ग्रामीण इलाके में या शहरी क्षेत्र में—यह सब अब एक क्लिक पर देखा जा सकेगा। इतना ही नहीं, स्कूलों में उपलब्ध बुनियादी सुविधाओं और संसाधनों का पूरा विवरण भी अब GIS (ज्योग्राफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम) मैपिंग के जरिए आसानी से प्राप्त किया जा सकेगा।

GIS मैपिंग से स्कूलों की स्थिति पर सटीक जानकारी

राज्य के सभी सरकारी स्कूलों की जीआईएस मैपिंग की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। केंद्र सरकार के निर्देशानुसार, शिक्षा विभाग ने समस्तीपुर समेत सभी जिलों के अधिकारियों को इस कार्य को शीघ्र पूरा करने का निर्देश दिया है। इस मैपिंग के तहत हर स्कूल का डिजिटल नक्शा तैयार होगा, जिसमें स्कूल का स्थान, प्रखंड और गांव की जानकारी भी सम्मिलित की जाएगी। यह निर्णय केंद्र सरकार के प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड द्वारा लिया गया है, ताकि शिक्षा से जुड़े आंकड़ों को पारदर्शी और सुलभ बनाया जा सके।

स्कूल सुविधाओं की विस्तृत जानकारी मैप में होगी उपलब्ध

जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) कामेश्वर प्रसाद गुप्ता ने बताया कि प्रत्येक स्कूल की बुनियादी संरचना और सुविधाओं को इस मैप पर प्रदर्शित किया जाएगा। इसमें कक्षाओं की संख्या, स्कूल परिसर का कुल क्षेत्रफल, पेयजल सुविधाएं, शौचालय, खेल का मैदान, और अन्य उपलब्ध संसाधनों की जानकारी शामिल होगी। केंद्रीय शिक्षा विभाग समय-समय पर इन आंकड़ों की समीक्षा करेगा, जिससे जरूरत पड़ने पर किसी भी स्कूल का सीधा सर्वेक्षण किया जा सकेगा। राज्य सरकार भी स्कूलों के भौगोलिक विवरण और क्षेत्रीय जानकारी को अपडेट करने का कार्य कर रही है।

GIS मैपिंग क्यों है जरूरी?

शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2019 के तहत सभी सरकारी विद्यालयों की GIS मैपिंग का उद्देश्य देशभर में शिक्षा की स्थिति का सटीक आकलन करना है। इससे न केवल साक्षरता स्तर को मापा जा सकेगा, बल्कि सरकार की विभिन्न योजनाओं के निर्माण और उनके प्रभावी क्रियान्वयन में भी मदद मिलेगी। केंद्र सरकार ने आगामी वित्तीय वर्ष 2025-26 से सभी राज्यों में सरकारी विद्यालयों की GIS मैपिंग अनिवार्य कर दी है, ताकि शिक्षा में सुधार के लिए आवश्यक कदम समय पर उठाए जा सकें।

GIS मैपिंग से होंगे कई लाभ

GIS मैपिंग के माध्यम से न केवल स्कूलों की भौगोलिक स्थिति की जानकारी मिलेगी, बल्कि सड़क संपर्क और निकटतम बिजली ग्रिड जैसी सुविधाओं पर भी नज़र रखी जा सकेगी। इससे ग्रामीण और शहरी स्कूलों के प्रदर्शन का तुलनात्मक विश्लेषण करना आसान होगा।

  1. स्कूलों की निगरानी और मॉनिटरिंग: GIS मैपिंग के जरिए स्कूलों की बुनियादी संरचना और शिक्षा स्तर की नियमित निगरानी की जा सकेगी।
  2. सुविधाओं का डिजिटलीकरण: स्कूलों में उपलब्ध संसाधनों और भौतिक संरचना की जानकारी गूगल मैप्स पर भी देखी जा सकेगी।
  3. भविष्य की योजनाओं के लिए डाटा प्रबंधन: केंद्र सरकार को बहुभाषी शिक्षा, समावेशी कक्षाओं और शिक्षण गुणवत्ता में सुधार के लिए सटीक डेटा मिलेगा।
  4. सहायता और अनुदान की पारदर्शिता: GIS मैपिंग के जरिए यह भी सुनिश्चित किया जा सकेगा कि राज्यों को दी जाने वाली वित्तीय सहायता का सही उपयोग हो रहा है या नहीं।

GIS मैपिंग से ग्रामीण शिक्षा में सुधार की उम्मीद

ग्रामीण क्षेत्रों में शैक्षिक संसाधनों की कमी और बुनियादी ढांचे की जरूरतों की पहचान करने में भी यह मैपिंग महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इससे शिक्षा के क्षेत्र में समान अवसर सुनिश्चित किए जा सकेंगे और सरकार को सुधारात्मक नीतियों को लागू करने में सहायता मिलेगी।

निष्कर्ष

GIS मैपिंग एक क्रांतिकारी कदम है, जिससे स्कूलों की भौगोलिक स्थिति, संसाधनों और शैक्षिक स्तर की सटीक जानकारी एक ही प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध होगी। यह पहल न केवल शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करेगी, बल्कि केंद्र और राज्य सरकारों को नीतिगत फैसले लेने में भी मददगार साबित होगी। इस तकनीकी कदम से आने वाले वर्षों में शिक्षा के क्षेत्र में समग्र सुधार की उम्मीद की जा रही है।

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Saurabh kumar

Saurabh Kumar is the Founder and CEO of SamastipurNews.in, a prominent news website known for delivering reliable and comprehensive coverage of Samastipur and regional news. With over a decade of experience in the media industry, Saurabh has established himself as a seasoned journalist and dedicated news editor.

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