Sharda Sinha Chhath Geet: आज 23 अक्टूबर 2025 को बिहार और पूर्वांचल में छठ की तैयारियां जोरों पर हैं। इसी बीच फिर से एक बार लोकगायिका शारदा सिन्हा का सुपरहिट गीत ‘हो दीनानाथ’ सोशल मीडिया पर छा गया है। हर साल की तरह इस साल भी यह गीत घाटों, घरों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भक्ति और भावनाओं का माहौल बना रहा है।
शारदा सिन्हा की आवाज़ से फिर गूंजा ‘हो दीनानाथ’ (Sharda Sinha Chhath Geet)
छठ पर्व की शुरुआत होते ही Bhojpuri devotional song और Chhath Puja bhajan की गूंज हर ओर सुनाई देने लगती है। इस साल भी T-Series Bhakti Sagar द्वारा रिलीज हुआ शारदा सिन्हा का प्रसिद्ध गीत ‘हो दीनानाथ’ फिर से ट्रेंड कर रहा है। यह गीत साल 2016 में यूट्यूब पर रिलीज हुआ था और अब तक इसे 53 मिलियन से अधिक व्यूज मिल चुके हैं। जैसे ही यह गीत बजता है, लोग भक्ति भाव में डूब जाते हैं और बचपन की छठ की यादें ताज़ा हो जाती हैं।
हर साल लौट आती है लोकभक्ति की मधुर गूंज
हर साल छठ के मौके पर Ho Deenanath song और अन्य Bhojpuri bhakti song लोगों की श्रद्धा को और गहरा बना देते हैं। यह पर्व सिर्फ सूर्योपासना नहीं बल्कि मातृत्व, श्रद्धा और संयम का प्रतीक माना जाता है। शारदा सिन्हा के गीतों की खासियत यह है कि उनमें मिट्टी की खुशबू, लोकसंस्कृति की मिठास और भक्ति की सादगी झलकती है।
इस साल Chhath 2025 की शुरुआत 25 अक्टूबर से होगी, जिसमें 25 तारीख को नहाय-खाय, 26 को खरना, 27 को संध्या अर्घ्य, और 28 को उषा अर्घ्य होगा। बिहार, झारखंड और पूर्वांचल के साथ-साथ अब तो देशभर के कई हिस्सों में भी छठ का यह पर्व पूरे उत्साह से मनाया जाता है।
शारदा सिन्हा – छठ गीतों की अमर आवाज़
लोकगायिका शारदा सिन्हा को आज भी छठ गीतों की रानी कहा जाता है। उन्होंने न सिर्फ Chhath festival की लोकसंस्कृति को जीवित रखा, बल्कि अपनी मधुर आवाज़ से इसे हर घर-घर तक पहुंचाया। ‘हो दीनानाथ’ जैसे गीत न सिर्फ श्रद्धा जगाते हैं, बल्कि नई पीढ़ी को भी लोकगीतों से जोड़ते हैं।
उनके गीतों का असर इतना गहरा है कि हर साल यह फिर से viral Chhath song बन जाता है। “हर घर में गूंजा ‘हो दीनानाथ’” इस लाइन का मतलब अब एक परंपरा बन गया है एक ऐसी परंपरा जो हर छठ में नई ऊर्जा के साथ लौटती है।
शारदा सिन्हा को संगीत जगत की श्रद्धांजलि
लोकसंस्कृति की इस धरोहर को जीवित रखने के लिए आज भी Sharda Sinha tribute दिया जाता है। उनकी आवाज़ में जो भक्ति और अपनापन है, वह किसी युग का नहीं बल्कि हर युग का संगीत बन गया है। ‘हो दीनानाथ’ जैसे गीत आज भी Chhath Puja rituals के हर चरण में गाए जाते हैं। यह गीत न केवल एक Bhojpuri devotional song है बल्कि भारतीय संस्कृति की आत्मा है।
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