दिल्ली-NCR: राजधानी और उसके आसपास के इलाकों में आवारा कुत्तों का मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में है। लोकल सर्किल्स के हालिया सर्वे के मुताबिक, 71% लोग सड़कों से कुत्तों को हटाने के समर्थन में हैं। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को आदेश दिया है कि अगले दो महीनों में 5,000 कुत्तों के लिए शेल्टर तैयार करें, जिनमें बंध्याकरण, टीकाकरण और CCTV निगरानी जैसी सुविधाएं हों। इस फैसले पर जहां कुछ लोग राहत की उम्मीद कर रहे हैं, वहीं पशु अधिकार कार्यकर्ता इसके व्यावहारिक पहलुओं को लेकर सवाल उठा रहे हैं।
सर्वे में जनता की राय साफ
लोकल सर्किल्स सर्वे में दिल्ली-NCR, गुरुग्राम, नोएडा, फरीदाबाद और गाजियाबाद के 12,816 नागरिकों ने हिस्सा लिया। इसमें 71% प्रतिभागियों ने कहा कि Dog bite incidents रोकने के लिए सड़कों से आवारा कुत्तों को हटाना जरूरी है। 24% लोगों ने इस कदम का विरोध किया और 5% ने कोई राय नहीं दी। कई लोगों का मानना है कि Public safety के लिहाज से यह कदम जरूरी है, क्योंकि हाल के महीनों में Delhi news में कुत्तों के हमलों की कई घटनाएं सामने आई हैं।
इसके साथ ही, कुछ पशु प्रेमियों का कहना है कि Animal shelters में जगह और संसाधनों की कमी के कारण यह योजना अधूरी रह सकती है। फिलहाल, एमसीडी के पास केवल 20 animal control centers हैं, जबकि जरूरत इससे कहीं ज्यादा है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश और चुनौतियां

सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि दिल्ली सरकार और स्थानीय निकाय मिलकर कम से कम 5,000 कुत्तों के लिए शेल्टर क्षमता विकसित करें। इसमें Gog sterilization और टीकाकरण के साथ-साथ हेल्पलाइन और निगरानी प्रणाली होनी चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि Stray dog removal केवल मानवीय तरीके से होना चाहिए।
पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि इतनी बड़ी संख्या में कुत्तों को एक साथ रखना कठिन होगा। जगह, भोजन और देखभाल के लिए पर्याप्त फंडिंग और ट्रेनिंग की जरूरत है। कुछ विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि Supreme Court order के साथ-साथ अवेयरनेस कैंपेन और एडॉप्शन प्रोग्राम भी चलाए जाएं, ताकि लोग इन कुत्तों को अपनाने के लिए आगे आएं।
आगे की राह और समाधान
विशेषज्ञ मानते हैं कि इस समस्या का स्थायी समाधान केवल शेल्टर बनाना नहीं है, बल्कि New-delhi-city-general जैसे शहरी इलाकों में जागरूकता फैलाना भी जरूरी है। स्थानीय निकाय Local Circles survey के आधार पर नीति बना सकते हैं, जिससे न केवल सड़कों पर कुत्तों की संख्या कम होगी, बल्कि Dog bite के मामलों में भी कमी आएगी।
साथ ही, सामुदायिक स्तर पर भी प्रयास जरूरी हैं। मोहल्ला समितियां, एनजीओ और वॉलंटियर समूह मिलकर बंध्याकरण और टीकाकरण अभियान को तेज कर सकते हैं। यह मुद्दा केवल कानून या आदेश से नहीं सुलझेगा; इसके लिए समाज के हर वर्ग को जिम्मेदारी लेनी होगी।