Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर सियासी टकराव तेज हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रक्रिया को वोटरों के हित में बताया है, जबकि विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने दावा किया है कि एनडीए सांसद वीणा देवी और उनके पति के पास दो-दो वोटर कार्ड हैं। इस विवाद के बीच Bihar Vidhansabha Chunav 2025 की तैयारियों का माहौल और गरमाता दिख रहा है।
SIR प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
मतदाता सूची में पारदर्शिता और सटीकता के लिए चुनाव आयोग समय-समय पर विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) करता है। इस बार बिहार में SIR प्रक्रिया ने राजनीतिक गर्मी बढ़ा दी। 13 अगस्त को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि SIR का उद्देश्य केवल यह सुनिश्चित करना है कि सही और पात्र मतदाता ही सूची में बने रहें। कोर्ट ने साफ किया कि यह कदम लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए आवश्यक है।
जानकारों के अनुसार, SIR प्रक्रिया के दौरान डुप्लिकेट वोटर कार्ड, गलत पते और मृतक मतदाताओं के नाम हटाए जाते हैं। यह न केवल bihar chunav 2025 के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि भविष्य के सभी चुनावों की निष्पक्षता सुनिश्चित करने का आधार भी है। चुनाव आयोग का कहना है कि यह एक नियमित प्रक्रिया है, जिसे राजनीतिक विवाद से अलग देखा जाना चाहिए।
तेजस्वी यादव के आरोप और राजनीतिक प्रतिक्रिया

तेजस्वी यादव ने SIR प्रक्रिया को लेकर चुनाव आयोग पर तीखा हमला बोला है। उनका आरोप है कि विपक्षी मतदाताओं के नाम सूची से हटाए गए हैं, जबकि एनडीए नेताओं के पास डुप्लिकेट वोटर कार्ड मौजूद हैं। उन्होंने विशेष तौर पर सांसद वीणा देवी और उनके पति का उदाहरण देते हुए दावा किया कि दोनों के पास अलग-अलग जिलों से दो-दो वोटर कार्ड हैं, जिनमें उम्र भी अलग दर्ज है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ऐसे आरोप चुनावी माहौल में आम हो जाते हैं, लेकिन इस बार मामला गंभीर इसलिए है क्योंकि यह सीधे तौर पर मतदाता सूची की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करता है। सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा ट्रेंड कर रहा है और Bihar politics के बड़े चेहरे इस पर लगातार बयान दे रहे हैं। इससे स्पष्ट है कि आने वाले महीनों में यह विवाद और गहराएगा।
बिहार चुनाव और मतदाता सूची की अहमियत
बिहार में चुनावी राजनीति हमेशा से ही जातीय समीकरण, विकास मुद्दों और स्थानीय नेतृत्व के इर्द-गिर्द घूमती रही है। लेकिन सही मतदाता सूची लोकतंत्र की नींव है। अगर सूची में गड़बड़ी होती है, तो न केवल चुनाव परिणाम प्रभावित हो सकते हैं बल्कि मतदाताओं का भरोसा भी कमजोर पड़ सकता है।
डिजिटल युग में Election Commission ने मतदाता सूची को ऑनलाइन उपलब्ध कराया है। मतदाता अपने नाम की जांच NVSP Portal पर कर सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि SIR जैसी प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि Fake Voters और Duplicate Entries को हटाया जा सके। इस तरह, सही और अपडेटेड मतदाता सूची free and fair elections के लिए जरूरी है।
आगे क्या?
SIR प्रक्रिया को लेकर जारी यह विवाद आने वाले महीनों में और भी सुर्खियां बटोर सकता है। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से चुनाव आयोग को मजबूती मिली है, लेकिन विपक्ष के आरोपों ने बहस को जिंदा रखा है। अब देखना यह होगा कि क्या चुनाव आयोग पारदर्शिता और निष्पक्षता को साबित करने के लिए अतिरिक्त कदम उठाता है या नहीं।
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि बिहार में मतदाता सूची का यह विवाद केवल कानूनी लड़ाई तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह चुनाव प्रचार का भी अहम मुद्दा बनेगा। ऐसे में मतदाताओं के लिए जरूरी है कि वे समय रहते अपनी जानकारी सत्यापित करें, ताकि चुनाव के दिन किसी परेशानी का सामना न करना पड़े। यह न केवल बिहार बल्कि पूरे देश के लोकतंत्र के लिए एक अहम सबक हो सकता है।
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