Three year old child: जब आपका नन्हा सा बच्चा मुस्कुराता है, कुछ शब्द बोलता है या अपनी दुनिया को समझने की कोशिश करता है, तो यह हर माता-पिता के लिए एक अनमोल एहसास होता है। लेकिन कई बार जब तीन साल की उम्र में भी बच्चा ठीक से बोल नहीं पाता, तो यह चिंता का विषय बन सकता है। अगर आपका बच्चा भी इस स्थिति से गुजर रहा है, तो सबसे पहले घबराने की जरूरत नहीं है। समझदारी से उसकी स्थिति को जानना और सही समय पर मदद लेना बेहद जरूरी है।
तीन साल की उम्र क्यों है भाषा विकास के लिए खास

तीन साल की उम्र को बच्चों की भाषा और बोलने की क्षमता के विकास के लिए एक अहम पड़ाव माना जाता है। इस उम्र तक बच्चे आमतौर पर छोटे-छोटे वाक्य बोलने लगते हैं, जैसे “पानी दो”, “मम्मी आओ”, “मैं खेलूंगा” आदि। लेकिन अगर बच्चा केवल कुछ शब्दों तक ही सीमित है या बिल्कुल भी स्पष्ट तरीके से नहीं बोल पा रहा है, तो यह संकेत हो सकता है कि उसे स्पीच डिले (Speech Delay) की समस्या है।
NIDCD की रिसर्च क्या कहती है
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑन डीफनेस एंड अदर कम्युनिकेशन डिसऑर्डर्स (NIDCD) की एक रिसर्च बताती है कि जन्म के बाद पहले तीन साल बच्चे के भाषाई विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण समय होता है। इस दौरान बच्चों का मस्तिष्क नए शब्दों को तेजी से सीखता है, वाक्य बनाने की क्षमता विकसित करता है और अपने आसपास के वातावरण से प्रतिक्रिया देने के तरीके सीखता है।
बोलने में देरी के क्या कारण हो सकते हैं
इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं कभी-कभी सुनने की समस्या, न्यूरोलॉजिकल डिले, दो भाषाओं का एक साथ प्रभाव, या परिवार में संवाद की कमी भी इस समस्या को जन्म दे सकती है। कभी-कभी बच्चे का स्वभाव भी शांत होता है और वह बोलने में देर करता है, लेकिन फिर भी एक विशेषज्ञ से सलाह लेना ज़रूरी होता है।
समाधान क्या है? क्या इलाज संभव है
अगर आपको लगता है कि आपका बच्चा अपने उम्र के हिसाब से बोलने में पीछे है, तो बिना देर किए किसी स्पीच थेरेपिस्ट या बाल रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें। शुरुआती हस्तक्षेप (Early Intervention) से बच्चे को बहुत जल्दी सामान्य बोलचाल में लाया जा सकता है। साथ ही, घर का वातावरण प्यार भरा और संवादपूर्ण बनाए रखना भी बेहद फायदेमंद साबित होता है।
हर बच्चा खास होता है, उसे समझें और साथ दें

हर बच्चा अलग होता है, उसकी गति अलग होती है, लेकिन उसके विकास की निगरानी माता-पिता की ज़िम्मेदारी होती है। समय पर सही कदम उठाकर आप अपने बच्चे को बेहतर भविष्य की ओर बढ़ने में मदद कर सकते हैं।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी प्रकार की समस्या या चिकित्सा संबंधी निर्णय लेने से पहले डॉक्टर या विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य ले
यहाँ भी पढ़े :
समस्तीपुर में मौसम का कहर: सर्दी-खांसी के मरीजों में बेतहाशा बढ़ोतरी, जानें कैसे बचें