बिहार के नालंदा जिले में पंचाने नदी के किनारे कूड़ा डंपिंग के विरोध में गुरुवार को कई गांवों के लोगों ने प्रदर्शन किया। कोसूक, राणा बिगहा, सिपाह, पचौड़ी, और लखरावा समेत कई गांवों के लोग पांच किलोमीटर पैदल चलकर कलेक्ट्रेट पहुंचे और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की।
ग्रामीणों का प्रदर्शन और नाराजगी
पंचाने नदी के किनारे पिछले कई महीनों से कूड़ा और मरे हुए जानवरों को डंप किया जा रहा है, जिससे स्थानीय ग्रामीणों में गहरी नाराजगी है। भाकपा नेता शिवकुमार यादव उर्फ सरदार ने कहा कि इस समस्या को लेकर डीएम समेत अन्य अधिकारियों को फरवरी में आवेदन दिया गया था। डीएम ने नगर निगम को जल्द समाधान के आदेश दिए थे, लेकिन 10 महीने बाद भी स्थिति जस की तस है।
स्वास्थ्य और पर्यावरण पर संकट
ग्रामीणों का कहना है कि कूड़े से निकलने वाली दुर्गंध और जलने वाले कचरे से पैदा होने वाला धुआं जानलेवा साबित हो रहा है। स्थानीय निवासी राजकिशोर प्रसाद ने बताया कि कूड़े के कारण आसपास के 10 हजार लोग प्रभावित हो रहे हैं। यहां तक कि कई परिवार बीमारियों से जूझ रहे हैं।
भविष्य में बड़ा आंदोलन करने की चेतावनी
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर कूड़ा डंपिंग बंद नहीं हुई और इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकाला गया, तो वे बड़े आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे। प्रदर्शन में शकलदीप प्रसाद यादव, शिवलाल पंडित, विष्णु देव पासवान, मकसूदन पासवान समेत सैकड़ों लोग शामिल हुए।
सरकार और प्रशासन से अपील
ग्रामीणों ने प्रशासन से पंचाने नदी के किनारे कूड़ा डंपिंग तुरंत रोकने की मांग की। उन्होंने कहा कि अगर समस्या का समाधान नहीं हुआ तो जनजीवन और पर्यावरण दोनों के लिए बड़ा संकट खड़ा हो सकता है।
समाधान के प्रयासों में देरी
फरवरी में डीएम द्वारा एजेंसी के माध्यम से कूड़े के उपचार का आदेश दिया गया था, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। ग्रामीणों का कहना है कि अधिकारियों की निष्क्रियता ने उन्हें आंदोलन करने पर मजबूर कर दिया है।
यह प्रदर्शन स्थानीय पर्यावरण और लोगों के स्वास्थ्य पर मंडरा रहे खतरे को उजागर करता है।
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