समस्तीपुर (Samastipur News): समस्तीपुर के प्रतिष्ठित विद्यापतिधाम में बुधवार की देर शाम से तीन दिवसीय विद्यापति राजकीय महोत्सव (Three-Day Vidyapati State Festival) की शुरुआत हुई। इस भव्य आयोजन का उद्घाटन बिहार सरकार के मंत्री विजय कुमार चौधरी ने महाकवि विद्यापति के तैल चित्र पर पुष्प अर्पित करके किया। महोत्सव के सफल आयोजन में जिला प्रशासन की भूमिका की सराहना करते हुए, मंत्री ने इसे मिथिला क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने का गौरवशाली अवसर बताया।
मंत्री विजय चौधरी ने किया महाकवि विद्यापति का नमन
विजय चौधरी ने उद्घाटन समारोह में महाकवि विद्यापति को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि विद्यापति न केवल भक्ति और श्रृंगार रस के महाकवि थे, बल्कि समाज सुधारक भी थे। तीन दिवसीय विद्यापति महोत्सव (Three-Day Vidyapati State Festival) में उन्होंने विद्यापति की महान रचनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि उनकी कविताएं हमारे समाज में नई चेतना और सांस्कृतिक ऊर्जा का संचार करती हैं। विद्यापति की अमूल्य रचनाएं मिथिला की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतिनिधित्व करती हैं और साहित्यिक जगत में उनकी एक अमिट छाप है।
विद्यापति की रचनाओं में सामाजिक बुराइयों पर प्रहार
मंत्री चौधरी ने विद्यापति की रचनाओं के बारे में बताते हुए कहा कि महाकवि विद्यापति ने सामाजिक बुराइयों पर अपने लेखनी से प्रहार किया था। आज भी उनके संदेश समाज के लिए प्रेरणा हैं। तीन दिवसीय विद्यापति महोत्सव (Three-Day Vidyapati State Festival) के आयोजन के दौरान उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी विद्यापति के विचारों का सम्मान करते हुए बाल विवाह और शराबबंदी जैसे कुरीतियों पर कानून बना रहे हैं।
समस्तीपुर में विद्यापति राजकीय महोत्सव में मिथिला संस्कृति की अनूठी झलक
तीन दिनों तक चलने वाले विद्यापति राजकीय महोत्सव (Vidyapati State Festival) में मिथिला और मैथिली संस्कृति की सुंदर झलक देखने को मिल रही है। समस्तीपुर के जिलाधिकारी रोशन कुशवाहा ने उद्घाटन समारोह में स्वागत भाषण देते हुए कहा कि उन्हें महाकवि विद्यापति की धरती पर कार्य करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। उन्होंने आयोजन को सफल बनाने में योगदान देने वाले सभी उपस्थित लोगों और स्थानीय नागरिकों का आभार व्यक्त किया।
महाकवि विद्यापति की जीवंत प्रस्तुति से दर्शकों में उल्लास
महोत्सव के दौरान विद्यापति परिषद के अध्यक्ष गणेश गिरी कवि ने महाकवि विद्यापति के जीवन और उनकी रचनाओं से जुड़ी लोककथाओं का उल्लेख करते हुए इस स्थल की महत्ता को विस्तार से बताया। उन्होंने इस अवसर पर विद्यापति के सांस्कृतिक योगदान का उल्लेख किया और दर्शकों को बताया कि कैसे विद्यापति की कविताओं ने मिथिला की पारंपरिक धरोहर को समृद्ध किया।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से सजी विद्यापति महोत्सव की शाम
विद्यापति राजकीय महोत्सव (Vidyapati State Festival) के उद्घाटन सत्र में विद्यापति उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मऊ बाजिदपुर की छात्राओं ने पारंपरिक मैथिली स्वागत गीत “मंगल दिन आज है पाहुन…” गाकर समां बांध दिया। इस अवसर पर वागीश झा और विजय कुमार गिरि ने मंगलाचरण की प्रस्तुति दी, जो दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र रही। इस महोत्सव के दौरान मैथिली भाषा की सांस्कृतिक और पारंपरिक प्रस्तुतियों ने सभी का मन मोह लिया और कार्यक्रम का माहौल जीवंत बना दिया।
विद्वानों और गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति ने महोत्सव को बनाया भव्य
महोत्सव में नगर निगम आयुक्त कुमार देवेन्द्र प्रज्वल, वरीय उप समाहर्ता स्मिता झा, जिला संस्कृति पदाधिकारी जूली सिंह, डीपीआरओ विष्णुदेव मंडल, एसडीओ प्रियंका कुमारी, एसडीपीओ विवेक कुमार शर्मा, बीडीओ महताब अंसारी, पुलिस अंचल निरीक्षक नीरज कुमार तिवारी, और विद्यापति परिषद के अध्यक्ष गणेश गिरी कवि सहित कई प्रमुख लोग मौजूद रहे। इन गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को भव्यता प्रदान की और इस आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
समस्तीपुर में तीन दिवसीय विद्यापति महोत्सव: मिथिला की धरोहर का संरक्षण
इस तीन दिवसीय विद्यापति राज्य महोत्सव (Three-Day Vidyapati State Festival) के माध्यम से समस्तीपुर में मिथिला की सांस्कृतिक और परंपरागत धरोहर को संरक्षित करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास किया जा रहा है। मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि राज्य सरकार मिथिला की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को संजोने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने इस आयोजन को मिथिला की संस्कृति को आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाने का प्रयास बताया, जिससे वे अपनी परंपराओं से जुड़े रहें और विद्यापति जैसे महाकवि की रचनाओं से प्रेरणा लें।
समस्तीपुर में आयोजित विद्यापति महोत्सव से उमड़ा उत्साह
समस्तीपुर में आयोजित इस विद्यापति राज्य महोत्सव (Samastipur News) ने स्थानीय निवासियों के लिए गर्व का क्षण प्रस्तुत किया है। इस महोत्सव ने न केवल मिथिला की संस्कृति को उजागर किया बल्कि समस्तीपुर और आसपास के लोगों के लिए सामाजिक और सांस्कृतिक जागरूकता का भी एक माध्यम बना।
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