फिल्में न केवल मनोरंजन का एक स्रोत होती हैं, बल्कि कई बार ये लोगों के जीवन में बदलाव लाने का काम भी करती हैं। बेगूसराय के बखरी प्रखंड के सलौना गांव की दो बहनें शालिनी और निर्जला ने दंगल फिल्म से प्रेरणा लेकर कुश्ती की दुनिया में कदम रखा। बेगूसराय न्यूज में इन दोनों बहनों की कहानी आज एक मिसाल बन चुकी है। फिल्म “दंगल” में आमिर खान का डॉयलाग ‘म्हारी छोरियां छोरों से कम हैं के’ ने मुकेश कुमार स्वर्णकार को इतना प्रभावित किया कि उन्होंने अपनी दोनों बेटियों को पहलवान बनाने का संकल्प लिया और घर में ही अखाड़ा बना दिया।
पिता ने बनाया घर को अखाड़ा, बेटियों को दी कुश्ती की ट्रेनिंग
बेगूसराय में अपने छोटे से किराना दुकान चलाने वाले मुकेश ने अपनी बेटियों के लिए बहुत बड़ा सपना देखा था। मुकेश ने अपनी बेटियों को कुश्ती में ट्रेनिंग देने के लिए घर में ही अखाड़ा बनाया। “दंगल” फिल्म को देखकर उनके मन में यह ख्याल आया कि यदि वे खुद कोई उपलब्धि हासिल नहीं कर पाए, तो क्यों न अपनी बेटियों को कुश्ती का ट्रेनिंग देकर उनका भविष्य संवारें। इस विचार से प्रेरित होकर, उन्होंने शालिनी और निर्जला को कुश्ती की ट्रेनिंग देना शुरू किया।
बेगूसराय की बहनें कुश्ती में मिली सफलता, बिहार को दिलवाए मेडल
शालिनी और निर्जला की मेहनत अब रंग लाने लगी है। 50 सालों के बाद बिहार में किसी लड़की ने कुश्ती में पदक जीते हैं, और वो पदक इन बहनों ने ही दिलवाए हैं। 2023 में निर्जला ने महिला कुश्ती में बिहार को रजत पदक दिलाया। उनका सपना अब ओलिंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करना है। शालिनी और निर्जला दोनों ही गीता और बबीता फोगाट को अपना आदर्श मानती हैं और उनके जैसी ही सफलता पाने की उम्मीद करती हैं। इन दोनों बहनों ने न केवल बेगूसराय बल्कि बिहार को गौरवान्वित किया है।
गांव में मिले ताने, अब मेडल से बदली सोच
जब शालिनी और निर्जला ने कुश्ती की ट्रेनिंग शुरू की, तो गांव के लोग उन पर ताने कसते थे। लेकिन मुकेश ने कभी इन बातों को अपने हौसले को कमजोर करने का मौका नहीं दिया। वे जानते थे कि अगर उनकी बेटियां मेहनत करेंगी तो एक दिन जरूर कुछ बड़ा हासिल करेंगी। और आज उनकी मेहनत रंग लाई है। बेगूसराय न्यूज में उनकी कहानी अब हर किसी के लिए प्रेरणा बन चुकी है। शालिनी और निर्जला ने अपनी कड़ी मेहनत से न केवल गांव, बल्कि पूरे राज्य का नाम रोशन किया है।
शालिनी और निर्जला का सपना है ओलिंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व
शालिनी और निर्जला ने कुश्ती में अपने सफर की शुरुआत 2019 में की थी। उन्होंने पहले गांव में दंगल में भाग लिया और वहां बेहतरीन प्रदर्शन किया। इसके बाद, उनका दाखिला उत्तर प्रदेश के नंदनी नगर अखाड़ा में कराया गया, जहां से उनका सफर आगे बढ़ा। शालिनी और निर्जला ने अब तक कई राज्यस्तरीय और राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में मेडल जीते हैं। अब उनका सपना है ओलिंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करना।
बेगूसराय की बेटियों ने तोड़ा 50 सालों का सूखा
दूसरी ओर, बेगूसराय के जिला कुश्ती संघ के सचिव कुंदन कुमार ठाकुर का कहना है कि शालिनी और निर्जला ने 50 सालों से सूखी पड़ी बिहार की महिला कुश्ती को फिर से जीवित किया है। निर्जला ने 50 साल बाद बिहार को महिला कुश्ती में रजत पदक दिलाया है, जबकि शालिनी ने विभिन्न प्रतियोगिताओं में रजत और गोल्ड मेडल जीते हैं। इन दोनों बहनों ने साबित कर दिया है कि अगर मेहनत और जुनून हो तो कोई भी बाधा रुकावट नहीं डाल सकती।
बेगूसराय में कुश्ती के नए सितारे, बिहार की शान बढ़ाई
बेगूसराय की ये दोनों बहनें अब कुश्ती के क्षेत्र में एक आदर्श बन चुकी हैं। उनके संघर्ष और मेहनत ने न केवल बेगूसराय को गौरवान्वित किया है, बल्कि बिहार के हर खिलाड़ी को यह संदेश दिया है कि अगर कुछ बड़ा करना है तो मेहनत कभी व्यर्थ नहीं जाती। शालिनी और निर्जला का लक्ष्य अब ओलिंपिक में भारत को मेडल दिलाना है, और इस सफर में उन्हें हर किसी का समर्थन चाहिए।
इन दोनों बहनों की मेहनत और संघर्ष ने बेगूसराय न्यूज और बेगूसराय को गर्व महसूस कराया है, और पूरी दुनिया में यह संदेश दिया है कि बेटियां किसी से कम नहीं होतीं।
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