बिहार भूमि सर्वेक्षण: नाकाफी ट्रेनिंग के बाद सरकार अब देगी कैथी लिपि की किताब

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नाकाफी ट्रेनिंग के बाद सरकार अब देगी कैथी लिपि की किताब: बिहार में भूमि सर्वेक्षण कार्य में कैथी लिपि एक बड़ी चुनौती बन गई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 70 प्रतिशत से अधिक दस्तावेज इस लिपि में हैं, जबकि इसे पढ़ने वाले विशेषज्ञों की संख्या बहुत कम है। इसी समस्या के समाधान के लिए सरकार ने अब कैथी लिपि की एक पुस्तिका प्रकाशित करने का निर्णय लिया है, जिसे विभिन्न राजस्व कर्मचारियों के बीच बांटा जाएगा।

कैथी लिपि का प्रशिक्षण नाकाफी साबित हुआ

बिहार सरकार ने जब भूमि सर्वेक्षण कार्य शुरू किया, तब उसे यह नहीं पता था कि दस्तावेज पढ़ने में समस्या आएगी। इसके बाद आनन-फानन में कर्मचारियों के लिए कैथी लिपि का प्रशिक्षण शुरू किया गया। हालांकि, यह प्रशिक्षण मात्र तीन दिनों का था, जो पूरी तरह से नाकाफी साबित हुआ।

पुस्तिका का वितरण

अब सरकार इस समस्या का समाधान करने के लिए कैथी लिपि की एक पुस्तिका छपवा रही है, जिसे अमीन, कानूनगो, सर्वे शिविर प्रभारी, राजस्व कर्मचारी, और अंचल अधिकारियों के बीच बांटा जाएगा। इसके साथ ही, यह पुस्तिका सर्वे निदेशालय की वेबसाइट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी उपलब्ध कराई जाएगी।

कैथी लिपि के जानकारों से प्रशिक्षण

राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह जानकारी दी गई कि विभाग कैथी लिपि के जानकारों की सेवाएं ले रहा है। ये विशेषज्ञ प्राथमिकता के आधार पर उन जिलों में जाकर प्रशिक्षण दे रहे हैं, जहां पुराने या पुश्तैनी खतियान की संख्या अधिक है।

नागरिकों को जागरूक करने की अपील

कैथी लिपि में लिखे पुराने दस्तावेजों को पढ़ने में हो रही कठिनाइयों को देखते हुए, सरकार ने आम नागरिकों से भी अपील की है कि वे कैथी लिपि के बारे में जानकारी हासिल करें। मंत्री डॉ. जायसवाल ने बताया कि 929 गांवों में विशेष सर्वेक्षण खतियान का अंतिम प्रकाशन किया जा चुका है, और अब इसे लोगों में वितरित किया जाएगा।

पहले एक दर्जन गांवों का वितरण

मंत्री ने निर्देश दिया है कि पहले एक दर्जन गांवों के खतियान का वितरण किया जाए, ताकि इससे प्राप्त फीडबैक के आधार पर सभी 929 मौजों में इसे लागू किया जा सके। इससे अधिक से अधिक लोग अपने दस्तावेजों को समझ सकेंगे और राजस्व संबंधी कार्य सुचारू रूप से हो सकेंगे।

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