सृजन घोटाले में फंसे मुख्य आरोपियों में से एक एनवी राजू को लगभग दो साल और दस महीने की जेल यात्रा के बाद जमानत पर रिहा कर दिया गया है। एनवी राजू पर तत्कालीन जिलाधिकारी के फर्जी हस्ताक्षर करके करोड़ों रुपये की सरकारी राशि को सृजन महिला विकास सहयोग समिति में ट्रांसफर करने का आरोप था। आरोप के मुताबिक, उसने करीब 15.50 करोड़ रुपये अवैध रूप से सृजन संस्था में ट्रांसफर किए थे। इन पैसों को एनवी राजू ने अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान ‘कलिंगा सेल्स’ के खाते में ट्रांसफर करवा लिया।
एनवी राजू कौन हैं?
एनवी राजू, ओडिशा के निवासी, भागलपुर में अपना व्यापार चलाते थे और सृजन संस्था के अधिकारियों के बीच एक कड़ी के रूप में काम करते थे। वह सरकारी धन को सृजन संस्था में ट्रांसफर करवाने के लिए रिश्वत देते थे, जिससे उन्होंने अकूत संपत्ति अर्जित की। उन्होंने सबसे पहले भागलपुर के महादेव टॉकीज के पास सिलाई मशीन की दुकान खोली और यहां उनकी मुलाकात सृजन संस्था की संचालिका स्वर्गीय मनोरमा देवी से हुई थी।
घोटाला कैसे हुआ?
एनवी राजू ने सृजन संस्था की संचालिका मनोरमा देवी के साथ मिलकर सरकारी धन की हेराफेरी की। उसने फर्जी दस्तावेजों के जरिए सरकारी राशि सृजन संस्था में ट्रांसफर करवाई और उसमें से बड़ी रकम अपने व्यक्तिगत खाते में डाल ली। इन पैसों का इस्तेमाल कर उसने इलेक्ट्रॉनिक्स, ब्रांडेड कपड़ों के शोरूम और अन्य व्यापारिक संपत्तियां बनाई। वह अफसरों और सृजन संस्था के बीच एक प्रमुख संपर्क सूत्र था और इस दौरान उसकी केपी रमैया (पूर्व डीएम) के साथ भी घनिष्ठता हो गई, जिससे वह खुद भी लाभान्वित हुआ।
कानूनी कार्रवाई
सीबीआई ने एनवी राजू के खिलाफ आठ चार्जशीट दायर की थीं, जिनमें से दो मामलों में सुप्रीम कोर्ट और छह मामलों में पटना हाईकोर्ट से जमानत मिली है। इसके बाद वह जेल से बाहर आ गया है। राजू ने फरवरी 2022 में बेउर जेल में प्रवेश किया था और वह लगभग दो साल दस महीने जेल में रहा। उसे तत्कालीन डीएम के फर्जी हस्ताक्षर करके राशि सृजन महिला विकास सहयोग समिति में ट्रांसफर करने का दोषी पाया गया था।
बैंक से लिया 1.55 करोड़ रुपए का लोन
एनवी राजू ने बैंक ऑफ बड़ौदा से धोखाधड़ी कर 1.55 करोड़ रुपये का लोन लिया था और इसकी वापसी न कर पाने के कारण बैंक ने उसकी कई संपत्तियां जब्त कर ली। इसके तहत कचहरी चौक, महादेव टॉकीज और खलीफाबाग में स्थित उसकी संपत्तियों को बैंक ने कब्जे में लिया। राजू के खिलाफ एक करोड़ 55 लाख 85 हजार 366 रुपये का बकाया था।
सृजन घोटाला क्या है?
सृजन घोटाला बिहार का एक बड़ा वित्तीय घोटाला है जिसमें सरकारी धन को अवैध तरीके से निजी खातों में ट्रांसफर किया गया था। इस घोटाले में कई बड़े अधिकारी और राजनेता शामिल थे। सृजन घोटाले की शुरुआत 2004 में हुई थी और जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, घोटाले की रकम भी बढ़ती गई। इसमें भागलपुर के डीएम केपी रमैया का भी नाम सामने आया, जो अब फरार हैं।
इसे भी पढ़े :-