Pooja Kumari BPSC Exam Success Story: नमस्कार मैं सौरभ ठाकुर samastipurnews.in से आपको बताते चले की बिहार के नालंदा जिले की एक साधारण परिवार की बेटी पूजा कुमारी ने अपनी मेहनत, आत्मविश्वास और दृढ़ निश्चय से Success Story लिख डाली है। गरीबी, असफलता और समाज के दबाव जैसी चुनौतियों के बावजूद पूजा ने हार नहीं मानी और 67वीं BPSC परीक्षा में सफलता हासिल कर मिसाल कायम की।
Pooja Kumari BPSC Exam Success Story: संघर्षों से भरा था पूजा का सफर
पूजा कुमारी नालंदा जिले के बिहार शरीफ के दीप नगर की रहने वाली हैं। उनके पिता किसान हैं और मां एक गृहिणी। घर की आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी—कई बार चूल्हा जलाने के लिए भी संसाधन नहीं होते थे। इसके बावजूद पूजा ने अपने सपनों को मरने नहीं दिया। एक साधारण सरकारी स्कूल से पढ़ाई शुरू करने वाली पूजा ने स्नातक की डिग्री बिहार शरीफ से प्राप्त की और फिर बीपीएससी की तैयारी के लिए पटना का रुख किया।
Pooja Kumari BPSC Success Story: तीन बार फेल होने के बाद भी नहीं मानी हार
Pooja Kumari BPSC Success Story: Success Story तब और खास बन जाती है जब कोई इंसान लगातार असफलताओं के बावजूद डटा रहे। पूजा बीपीएससी परीक्षा में तीन बार असफल रहीं, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। समाज के लोग ताने मारते थे—“अब कितनी बार फेल होगी?”, “अब तो शादी कर लो!” लेकिन पूजा ने अपने आत्मविश्वास को कभी टूटने नहीं दिया।
Pooja Kumari Success Story: परिवार बना सबसे बड़ा सहारा
Pooja Kumari Success Story: पूजा के दोनों भाई रेलवे में अधिकारी हैं और उनके माता-पिता ने हर कदम पर उनका साथ दिया। पूजा कहती हैं, “मैं अकेली नहीं लड़ी, मेरे साथ मेरा पूरा परिवार लड़ा।” समाज जब शादी का दबाव बना रहा था, तब उनके परिवार ने सपनों को प्राथमिकता दी और कहा—पहले मंज़िल, फिर शादी। और हुआ भी ऐसा ही।
Success Story: मंज़िल के बाद शादी, प्रेरणा बनी हजारों लड़कियों के लिए
जुलाई 2024 में पूजा की शादी फॉरेंसिक विभाग में कार्यरत सुनील कुमार से हुई, लेकिन तब जब उन्होंने अपने जीवन का सबसे बड़ा सपना पूरा कर लिया था। आज पूजा उन हजारों लड़कियों के लिए एक प्रेरणा बन चुकी हैं जो सामाजिक दबाव और आर्थिक तंगी के बीच भी अपने सपनों को नहीं छोड़तीं।
हर लड़की को प्रेरित करती है पूजा की कहानी
पूजा की Success Story यह दिखाती है कि अगर जुनून सच्चा हो, इरादे मजबूत हों और परिवार का साथ मिले, तो कोई भी लड़की अपनी तक़दीर खुद लिख सकती है। यह कहानी सिर्फ एक महिला की नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए संदेश है कि सपनों को पंख देना चाहिए, न कि उन्हें दबाना।
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