PM Modi :- श्रीरामलला के प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम अयोध्या में सोमवार को सम्पन्न हो गया। मुख्य यजमान के रूप में मोदी, हल्के पीले रंग की धोती और कुर्ता पहनकर, 12 बजे मंदिर परिसर में पहुंचे। उनके हाथ में एक थाल थी, जिसमें श्रीरामलला का चांदी का छत्र सजा हुआ था। संकल्प के साथ प्राण प्रतिष्ठा की विधि 12 बजकर 5 मिनट पर शुरू हुई, जो 1 घंटे से अधिक समय तक चली।
प्रधानमंत्री ने भगवान की आरती की और चंवर से उनकी पूजा की। मुख्य पुजारी सत्येन्द्र दास से कलावा बंधवाया और उनके पैरों को छूआ। इसके बाद, उन्होंने श्रीरामलला की परिक्रमा की और साष्टांग प्रणाम किया। उन्होंने राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास के भी पैरों को छूने का अद्भुत सौभाग्य प्राप्त किया। प्रधानमंत्री ने अपने 11 दिन के व्रत को भी तोड़ा।
प्राण प्रतिष्ठा के बाद, प्रधानमंत्री ने लोगों को संबोधित किया। 35 मिनट की स्पीच में प्रधानमंत्री ने राम-राम से शुरू किया और जय सियाराम पर खत्म किया। उन्होंने देशवासियों को बधाई दी और कहा कि कुछ तो कमी थी जो मंदिर बनने में सदियां लग गईं। इस राम मंदिर को वह भारत के उत्कर्ष-उदय का साक्षी बनने का मान्यता देने का आशीर्वाद दिया। प्रधानमंत्री ने 4 बजे दिल्ली लौटने का निर्णय किया।

PM Modi भाषण की 5 बातें..
1. रामलला के प्राण प्रतिष्ठा पर भाषण
मोदी ने कहा- अब रामलला टेंट में नहीं, बल्कि दिव्य मंदिर में रहेंगे। राम मंदिर की निर्माण के बाद से देशवासियों के बीच नया उत्साह उत्पन्न हो रहा है। आज हमें सदियों की धरोहर मिली है, श्रीराम का मंदिर स्थापित हो गया है। 22 जनवरी, 2024 का यह सूरज एक अद्भुत आभा के साथ आया है। यह कैलेंडर पर एक तारीख नहीं, बल्कि एक नए कालचक्र की शुरुआत है। लोग इसे हजारों साल तक याद करेंगे।
2. सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भाषण
प्रधानमंत्री (PM Modi) ने यह कहा- मैं प्रभु राम से क्षमा याचना करता हूं। हमारे त्याग, तपस्या, और पूजा में कोई तो कमी रह गई होगी कि इतने सालों तक मंदिर निर्माण का कार्य पूरा नहीं हो सका। आज इस कमी को पूरा करने का समय आया है। भारतीय संविधान के पहले पृष्ठ में राम जी विराजमान हैं। दशकों तक प्रभु राम के अस्तित्व के लिए कानूनी युद्ध चला। मैं न्यायिक प्रणाम करता हूं कि उन्होंने इस पर ध्यान दिया।
3. देश के माहौल पर भाषण
प्रधानमंत्री ने कहा – आज गाँव-गाँव में एक साथ कीर्तन और संकीर्तन हो रहे हैं। आज शाम को घर-घर में राम ज्योति को प्रज्वलित करने की तैयारी है। प्रधानमंत्री ने कहा – मैंने अपने 11 दिन के व्रत-अनुष्ठान के दौरान उन स्थानों का चरणस्पर्श करने का प्रयास किया है, जहां प्रभु राम के चरण पड़े थे। मेरा सौभाग्य है कि इस पवित्र भावना के साथ मुझे सागर से सरयू तक की यात्रा का अवसर मिला।

4. राम को लेकर विवाद पर भाषण
प्रधानमंत्री ने यह कहा है कि कई राष्ट्र अपने इतिहास में अक्सर उलझ जाते हैं और जब भी उन्होंने इतिहास की गांठें सुलझाने का प्रयास किया है, तो मुश्किल परिस्थितियां उत्पन्न हो गई हैं। उन्होंने इस गांठ को भावुकता और समझदारी के साथ खोलने का प्रयास किया है और इससे यह साबित होता है कि भविष्य में सुंदर समय आने वाला है। कुछ लोगों ने पहले कहा था कि राम मंदिर बना तो आग लग जाएगी, लेकिन वह यह स्वीकारते हैं कि राम मंदिर ने किसी आग को नहीं, बल्कि ऊर्जा को जन्म देने का कार्य किया है।
राम आग नहीं, ऊर्जा है। राम विवाद नहीं, राम समाधान हैं। राम सिर्फ हमारे नहीं, सबके हैं। राम वर्तमान नहीं, अनंत काल हैं। यह मंदिर मात्र देव मंदिर नहीं, भारतीय दृष्टिकोण और दर्शन का मंदिर है। राम भारतीय समाज का विचार-विधान है। राम भारतीय चिंतन, चेतना, प्रवाह, प्रभाव, नेति, निरंतरता है। राम विश्व हैं, विश्वात्मा हैं। इसलिए जब राम की स्थापना होती है, तो उसका प्रभाव हजारों वर्षों के लिए होता है।
5. देश के विजन पर भाषण
प्रधानमंत्री ने यह कहा है कि यदि युवाशक्ति चांद पर तिरंगा लहरा रही है, तो अंतरिक्ष में 15 लाख किमी दूर एक यान भी पहुंचा रहा है। आने वाला समय अब सफलता का है और उसे सिद्धि का समय माना जा रहा है। यह राम मंदिर भारत के उत्कर्ष और उदय का साक्षी बनेगा। मंदिर सिखाता है कि यदि लक्ष्य प्रमाणित हो, तो उसे हासिल किया जा सकता है। शताब्दियों की प्रतीक्षा के बाद हम यहां पहुंचे हैं और अब हम रुकेंगे नहीं।
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