सीतामढ़ी: बिहार के सीतामढ़ी जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली का एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। बसबरिया स्थित एक निजी क्लिनिक, आरोग्य क्लिनिक में इलाज के बाद अत्यधिक बिल न चुका पाने के कारण एक गर्भवती महिला को बंधक बना लिया गया। मामला तूल पकड़ने पर जिलाधिकारी रिची पांडेय ने जांच के आदेश दिए।
क्या है पूरा मामला?
विशनपुर निवासी शंभू कुमार की पत्नी सुलेखा देवी को प्रसव के लिए सीतामढ़ी सदर अस्पताल लाया गया था। लेकिन, एक आशा कार्यकर्ता ने उन्हें सरकारी अस्पताल से हटाकर बसबरिया के एक निजी क्लिनिक में भर्ती करा दिया। यहां इलाज के नाम पर 18,000 रुपये की अग्रिम राशि ली गई और बाद में 80,000 रुपये का बिल थमा दिया गया।
जब परिवार ने इतनी बड़ी रकम देने से इनकार किया तो अस्पताल प्रबंधन ने महिला को बंधक बना लिया। मामले की जानकारी मिलते ही पीड़ित परिवार ने जिलाधिकारी से शिकायत की।
डीएम की त्वरित कार्रवाई
डीएम रिची पांडेय ने तुरंत डीसीएम को जांच के निर्देश दिए। डीसीएम ने मौके पर पहुंचकर परिवार को मुक्त कराया और आशा कार्यकर्ता को निलंबित कर दिया। साथ ही, जांच में यह भी सामने आया कि संबंधित क्लिनिक का कोई निबंधन नहीं है।
स्वास्थ्य विभाग पर सवाल
यह घटना स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली और निजी अस्पतालों की मनमानी को उजागर करती है। फर्जी नर्सिंग होम और अवैध क्लिनिक के कारण मरीजों और उनके परिजनों को मानसिक और आर्थिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है।
जनता की प्रतिक्रिया
स्थानीय लोगों ने इस घटना पर गहरी नाराज़गी जताई है। उनका कहना है कि स्वास्थ्य विभाग को इस तरह की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए।
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