गोपालगंज के दिव्यांग खिलाड़ी ने नेशनल व्हीलचेयर रग्बी चैंपियनशिप में जीता कांस्य पदक, चारों तरफ से मिल रही हैं बधाइयाँ

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Samastipur News Bihar

गोपालगंज: भारत के दिव्यांग खिलाड़ियों ने पैरालंपिक खेलों में बेहतरीन प्रदर्शन कर देश का नाम रोशन किया है। इसी कड़ी में गोपालगंज जिले के कुचायकोट प्रखंड के सीरिसिया वृति टोला निवासी राकेश पंडित ने भी अपने हुनर का लोहा मनवाया है। हाल ही में आयोजित नेशनल व्हीलचेयर रग्बी चैंपियनशिप में राकेश ने शानदार प्रदर्शन करते हुए कांस्य पदक अपने नाम किया और बिहार का मान बढ़ाया।

बिहार को दिलाया तीसरा स्थान

राकेश पंडित ने मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुई 6वीं नेशनल व्हीलचेयर रग्बी चैंपियनशिप-2024 में बिहार टीम का प्रतिनिधित्व किया। इस प्रतियोगिता में कांस्य पदक के लिए खेले गए मुकाबले में बिहार की टीम ने कर्नाटक को 9-5 से हराकर जीत दर्ज की। राकेश के शानदार खेल ने बिहार को तीसरा स्थान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

ग्वालियर में आयोजित हुई चैंपियनशिप

यह चैंपियनशिप ग्वालियर स्थित अटल बिहारी वाजपेई दिव्यांग खेल प्रशिक्षण केंद्र में आयोजित की गई थी, जिसमें देशभर से 15 राज्यों की टीमों ने हिस्सा लिया। बिहार की टीम ने कांस्य पदक जीतकर अपनी काबिलियत साबित की।

टीम के खिलाड़ियों का शानदार प्रदर्शन

बिहार की टीम में राकेश पंडित के साथ शैलेश कुमार (कप्तान, गया), दीपक शर्मा (सीवान), दीपक सिंह और अमित सिंह (सारण), संजीव कुमार (नालंदा), धीरज कुमार (आरा) और राहुल दयाल (पटना) शामिल थे। सभी खिलाड़ियों ने बेहतरीन प्रदर्शन कर टीम को जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

राकेश का पैरालंपिक में जाने का सपना

राकेश पंडित का हौसला दिव्यांगता को मात देने वाला है। कमर से नीचे का हिस्सा काम न करने के बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अब उनका सपना है कि वे पैरालंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करें। राकेश इससे पहले भी छत्तीसगढ़ में आयोजित बास्केटबॉल प्रतियोगिता में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर चुके हैं।

गांव और खेल प्रेमियों से मिल रही हैं बधाइयाँ

राकेश की इस कामयाबी पर गांव के लोग और खेल प्रेमी उन्हें लगातार बधाइयाँ दे रहे हैं। उनकी मेहनत और जुनून ने उन्हें इस मुकाम तक पहुँचाया है, और उनकी सफलता अब अन्य दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा बन चुकी है।

निष्कर्ष: राकेश पंडित की इस सफलता की कहानी सिर्फ उनके लिए नहीं, बल्कि उन सभी दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को साकार करने की दिशा में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।

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