Ganesh Chalisa: दिवाली पर करें विघ्नहर्ता की आराधना, पढ़ें संपूर्ण गणेश चालीसा के दोहे और चौपाई

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Ganesh Chalisa In Hindi: दिवाली 2025 का पर्व कार्तिक अमावस्या के दिन मनाया जाएगा। इस दिन माता लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश और कुबेर की पूजा का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन अगर श्रद्धापूर्वक Ganesh Chalisa का पाठ किया जाए तो जीवन की सभी बाधाएं समाप्त हो जाती हैं और सुख-समृद्धि का आगमन होता है। आइए जानते हैं गणेश चालीसा का महत्व, पाठ की विधि और पूरी चालीसा के दोहे व चौपाई।

गणेश चालीसा का महत्व

गणेश चालीसा भगवान गणेश की स्तुति का सबसे शक्तिशाली ग्रंथ है। इसे पढ़ने से मन शांत होता है और हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है। दिवाली 2025 पर गणेश जी की आराधना करने से न केवल बुद्धि और धन की वृद्धि होती है बल्कि घर में सकारात्मक ऊर्जा भी बनी रहती है।

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, जो व्यक्ति गणेश चालीसा के लिरिक्स हिंदी में (Ganesh Chalisa Lyrics in Hindi) का पाठ करता है, उसके जीवन में आने वाले विघ्न स्वतः दूर हो जाते हैं। यह चालीसा व्यक्ति के बुध ग्रह को भी मज़बूत करती है।

दिवाली पर गणेश चालीसा पाठ की विधि

Ganesh Chalisa: दिवाली 2025 पर भगवान गणेश की आराधना करते भक्त, गणेश चालीसा पाठ का शुभ महत्व
Ganesh Chalisa: दिवाली पर करें विघ्नहर्ता की आराधना, पढ़ें संपूर्ण गणेश चालीसा के दोहे और चौपाई 6

Diwali 2025 के दिन सुबह या संध्या के समय गणेश जी की मूर्ति के सामने दीपक, धूप, फूल और मोदक रखकर पूजा करें। पूजा के बाद गणेश जी का ध्यान करते हुए चालीसा का पाठ करें। पाठ से पहले “ॐ गण गणपतये नमः” मंत्र का 108 बार जाप करने से अधिक फल प्राप्त होता है।

कहा गया है कि जब भक्त गणेश चालीसा का श्रद्धापूर्वक पाठ करता है तो वह विघ्नहर्ता की कृपा का अधिकारी बन जाता है।

संपूर्ण गणेश चालीसा (Shri Ganesh Chalisa in Hindi)

दोहा (Doha)

जय गणपति सद्गुण सदन कविवर बदन कृपाल।
विघ्न हरण मंगल करण जय जय गिरिजालाल॥

चौपाई (Chaupai)

जय जय जय गणपति राजू।
मंगल भरण करण शुभ काजू॥

जय गजबदन सदन सुखदाता।
विश्व विनायक बुद्धि विधाता॥

वक्र तुण्ड शुचि शुण्ड सुहावन।
तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥

राजित मणि मुक्तन उर माला।
स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला॥

पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं।
मोदक भोग सुगन्धित फूलं॥

सुन्दर पीताम्बर तन साजित।
चरण पादुका मुनि मन राजित॥

धनि शिवसुवन षडानन भ्राता।
गौरी ललन विश्व-विधाता॥

ऋद्धि सिद्धि तव चँवर डुलावे।
मूषक वाहन सोहत द्वारे॥

कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी।
अति शुचि पावन मंगल कारी॥

एक समय गिरिराज कुमारी।
पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी॥

भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा।
तब पहुंच्यो तुम धरि द्विज रूपा॥

अतिथि जानि कै गौरी सुखारी।
बहु विधि सेवा करी तुम्हारी॥

अति प्रसन्न ह्वै तुम वर दीन्हा।
मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा॥

मिलहि पुत्र तुहि बुद्धि विशाला।
बिना गर्भ धारण यहि काला॥

गणनायक गुण ज्ञान निधाना।
पूजित प्रथम रूप भगवाना॥

अस कहि अन्तर्धान रूप ह्वै।
पलना पर बालक स्वरूप ह्वै॥

बनि शिशु रुदन जबहि तुम ठाना।
लखि मुख सुख नहिं गौरि समाना॥

सकल मगन सुख मंगल गावहिं।
नभ ते सुरन सुमन वर्षावहिं॥

शम्भु उमा बहुदान लुटावहिं।
सुर मुनि जन सुत देखन आवहिं॥

लखि अति आनन्द मंगल साजा।
देखन भी आए शनि राजा॥

निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं।
बालक देखन चाहत नाहीं॥

गिरजा कछु मन भेद बढ़ायो।
उत्सव मोर न शनि तुहि भायो॥

कहन लगे शनि मन सकुचाई।
का करिहौ शिशु मोहि दिखाई॥

नहिं विश्वास उमा कर भयऊ।
शनि सों बालक देखन कह्यऊ॥

पड़तहिं शनि दृग कोण प्रकाशा।
बालक शिर उड़ि गयो आकाशा॥

गिरजा गिरीं विकल ह्वै धरणी।
सो दुख दशा गयो नहिं वरणी॥

हाहाकार मच्यो कैलाशा।
शनि कीन्ह्यों लखि सुत को नाशा॥

तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधाए।
काटि चक्र सो गज शिर लाए॥

बालक के धड़ ऊपर धारयो।
प्राण मन्त्र पढ़ शंकर डारयो॥

नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे।
प्रथम पूज्य बुद्धि निधि वर दीन्हे॥

बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा।
पृथ्वी की प्रदक्षिणा लीन्हा॥

चले षडानन भरमि भुलाई।
रची बैठ तुम बुद्धि उपाई॥

चरण मातु-पितु के धर लीन्हें।
तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें॥

धनि गणेश कहि शिव हिय हरषे।
नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे॥

तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई।
शेष सहस मुख सकै न गाई॥

मैं मति हीन मलीन दुखारी।
करहुँ कौन बिधि विनय तुम्हारी॥

भजत रामसुन्दर प्रभुदासा।
लख प्रयाग ककरा दुर्वासा॥

अब प्रभु दया दीन पर कीजै।
अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै॥

दोहा (समापन)

श्री गणेश यह चालीसा पाठ करें धर ध्यान।
नित नव मंगल गृह बसै लहे जगत सन्मान॥

सम्वत् अपन सहस्र दश ऋषि पंचमी दिनेश।
पूरण चालीसा भयो मंगल मूर्ति गणेश॥

गणेश चालीसा पाठ के लाभ

  1. मानसिक तनाव और भय समाप्त होता है।
  2. करियर, व्यापार और परिवार में सफलता मिलती है।
  3. ग्रह दोष और शनि पीड़ा से मुक्ति मिलती है।
  4. घर में शांति, प्रेम और समृद्धि का वास होता है।
  5. दिवाली के दिन यह पाठ करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

Ganesh Chalisa का पाठ दिवाली 2025 पर करना हर दृष्टि से शुभ है। यह न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि यह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता का मार्ग खोलता है।

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Sambhavi

मैं शम्भावी हूँ, samastipurnews.in में एक कंटेंट राइटर हू। मैं ज्योतिष और धर्म के साथ-साथ सामाजिक मुद्दों, जीवनशैली और सांस्कृतिक विषयों पर भी लिखती हूँ। मेरा लक्ष्य हमेशा अपने लेखों के ज़रिए हर विषय पर पाठकों को सही और विस्तृत जानकारी देना होता है।

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