पैक्स चुनाव में गजब खेल! यहां वोटरों के साथ हो गया खेला, मतदाता सूची नाम ही कर दिया गायब

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Samastipur News Bihar

पूर्वी चंपारण: बिहार के पूर्वी चंपारण जिले की सैरया गोपाल पंचायत में पैक्स चुनाव के दौरान एक बड़ा विवाद सामने आया है। आरोप है कि लगभग एक हजार मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए गए हैं। जिन लोगों ने कई बार पैक्स चुनाव में मतदान किया था, उनका नाम इस बार सूची से गायब कर दिया गया है। उनके क्रमांक पर किसी और व्यक्ति का नाम जोड़ दिया गया है। इस घटना के बाद स्थानीय लोगों ने गुस्से में आरोप लगाए हैं कि वर्तमान पैक्स अध्यक्ष ने अपने रिश्तेदारों के नाम वोटर लिस्ट में शामिल करवा दिए हैं। इस मामले में चुनाव पर रोक (स्टे) लगा दी गई है।

शिकायत के बाद चुनाव पर लगा स्टे

अधिवक्ता नईस मंसूरी ने लोकल18 से बात करते हुए बताया कि 2019 से 2024 तक लगभग एक हजार मतदाताओं का नाम काट दिया गया और उनके क्रमांक पर नए मतदाताओं का नाम जोड़ दिया गया। पैक्स के नियमानुसार पुराने क्रमांक पर नए मतदाताओं का नाम नहीं जोड़ा जा सकता है। यदि नाम जोड़ा जाता है तो उसे नए क्रमांक पर रखा जाता है। मंसूरी ने बताया कि इस संबंध में बिहार राज्य निर्वाचन प्राधिकार में शिकायत की गई थी, जिसके बाद चुनाव को स्थगित कर दिया गया। डीसीईओ कार्यालय मोतिहारी और अनुमंडल पदाधिकारी को भी शिकायत की गई थी।

अधिवक्ता ने आरोप लगाए

नईस मंसूरी के अनुसार, पैक्स अध्यक्ष ने अपने सगे भाई, चचेरे भाई और रिश्तेदारों के नाम एक से अधिक जगहों पर सूची में जोड़ दिए हैं। एक उदाहरण में, उन्होंने बताया कि एक लड़की, जिनकी शादी कई साल पहले हो चुकी थी, उनका नाम भी जोड़ दिया गया ताकि उनके नाम पर अवैध तरीके से वोटिंग कर चुनाव में जीत हासिल की जा सके।

स्थानीय मतदाताओं का आरोप

उमाशंकर बैठा ने कहा कि उनका नाम पहले सूची में था और वे वोट भी देते थे, लेकिन इस बार उनका नाम काट दिया गया है। वेदानंद झा ने बताया कि वे प्रस्तावक थे, लेकिन किसी अन्य प्रत्याशी के दबाव में उनका नाम काट दिया गया। एक अन्य व्यक्ति ने बताया कि 2009, 2014 और 2019 में उन्होंने मतदान किया था, लेकिन इस बार उनका नाम बिना किसी कारण के सूची से हटा दिया गया। उन्होंने कहा कि यह पूरी घटना वोटरों के साथ किया गया बड़ा खेल है।

यह घटनाक्रम इस बात की ओर इशारा करता है कि पैक्स चुनाव में गड़बड़ी के कारण स्थानीय लोगों में गहरा आक्रोश है और मामला चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है।

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