सांसद पप्पू यादव के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी: पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव के खिलाफ गाजीपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने 31 साल पुराने मामले में गैर-जमानती वारंट जारी किया है। यह मामला 1993 का है, इसमें आचार संहिता के नियमों का उलंघन के साथ सरकारी कामों मे बढ़ डालना है ।
क्या है मामला?
8 नवंबर 1993 को उत्तर प्रदेश के मुहम्मदाबाद थाने में दर्ज किए गए इस मामले में पप्पू यादव और 11 अन्य लोगों पर आचार संहिता का उल्लंघन करने और चुनावी सभाओं में व्यवधान पैदा करने का आरोप है। तत्कालीन थानाध्यक्ष वीएन सिंह की रिपोर्ट के मुताबिक, पप्पू यादव और उमेश पासवान अपने समर्थकों के साथ विरोधी राजनीतिक दलों की सभाओं में गड़बड़ी करने के इरादे से आए थे। इस घटना के बाद पुलिस ने तत्काल मामला दर्ज किया, जिसके तहत उन पर सरकारी काम में बाधा डालने के आरोप भी लगाए गए।
कोर्ट में पेश नहीं हुए पप्पू यादव
कोर्ट ने पप्पू यादव को मंगलवार को पेश होने के लिए समन जारी किया था, लेकिन वे अदालत में उपस्थित नहीं हुए। इसके बाद, कोर्ट ने पप्पू यादव समेत 11 लोगों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया है।
2023 में बरी होने के बाद फिर से सुनवाई
2023 में जिला जज शारद कुमार चौधरी ने इस मामले में संदेह का लाभ देते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया था। लेकिन, इसके खिलाफ अपील दायर की गई, जिससे मामले की फिर से सुनवाई हो रही है। अब अगली सुनवाई 4 नवंबर को होगी।
क्या है गैर-जमानती वारंट?
गैर-जमानती वारंट तब जारी किया जाता है, जब आरोपी अदालत में पेश नहीं होता या फिर गिरफ्तारी से बचने की कोशिश करता है। पप्पू यादव के मामले में यह वारंट इसलिए जारी किया गया है क्योंकि वह समन के बावजूद अदालत में पेश नहीं हुए।
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