दरभंगा: ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय (एलएमएनयू) में एक नई विवादित घटना सामने आई है। यहां के रजिस्ट्रार डॉ. अजय कुमार पंडित ने स्वास्थ्य कारणों से 30 अक्टूबर से विश्वविद्यालय से अवकाश लिया था और इस दौरान उन्होंने अपना प्रभार प्रो. विजय कुमार यादव को सौंपा था। अब जब वह स्वास्थ्य जांच करवाकर लौटे हैं, तो विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन्हें फिटनेस सर्टिफिकेट मांगा है, जो विवाद का कारण बन गया है।
सिविल सर्जन के प्रमाणपत्र के बावजूद नया विवाद
डॉ. पंडित ने सिविल सर्जन से स्वास्थ्य जांच करवाकर फिटनेस सर्टिफिकेट प्राप्त किया था, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने पुनः न्यूरोसर्जन से स्वास्थ्य जांच कराने का आदेश दिया। इसके बाद प्रो. विजय कुमार यादव ने डॉ. पंडित को प्रभार देने से इनकार कर दिया। इससे विश्वविद्यालय में चर्चा का माहौल बन गया है।
न्यूरोसर्जन द्वारा जांच की मांग
सिविल सर्जन द्वारा दिया गया रिपोर्ट प्रशासन के लिए अपर्याप्त साबित हुआ। कार्यकारी रजिस्ट्रार प्रो. यादव ने डॉ. पंडित की स्वास्थ्य स्थिति को लेकर डीएमसीएच या पीएमसीएच के वरिष्ठ न्यूरोसर्जन से जांच कराने की मांग की। इस दौरान डॉ. पंडित के चिकित्सक ने उन्हें मस्तिष्क की गतिविधियों की जांच के लिए ईईजी परीक्षण की सलाह दी थी, जिसे लेकर कार्यकारी रजिस्ट्रार ने अपनी चिंता जताई।
डॉ. पंडित का स्वास्थ्य स्थिति पर बयान
डॉ. अजय कुमार पंडित ने कहा कि उन्होंने 21 दिसंबर को विश्वविद्यालय में योगदान दिया था और वह पूरी तरह स्वस्थ हैं। उन्होंने कहा, “मैं मेडिकल बोर्ड के सामने अपनी स्वास्थ्य रिपोर्ट लेकर उपस्थित हुआ था और अब फिर से जांच कराने का पत्र दिया गया है। कुलपति के आदेश मिलते ही मैं अपना कार्य शुरू कर दूंगा।”
भाजपा विधायक का आरोप
इस मामले पर भाजपा विधायक और विश्वविद्यालय के सीनेट सदस्य संजय सरावगी ने कहा कि राजभवन के आदेश के अनुसार डॉ. पंडित को मुख्यालय पहुंचते ही प्रभार सौंपा जाना चाहिए था, लेकिन उनका स्वास्थ्य जांच का अड़ंगा लगाकर उन्हें प्रभार ग्रहण करने से रोका जा रहा है। उन्होंने इसे विश्वविद्यालय के इतिहास में पहली बार होने वाला विवाद बताया।
कुलपति की चुप्पी
इस पूरे घटनाक्रम पर कुलपति डॉ. संजय कुमार चौधरी ने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, जबकि यह मामला विश्वविद्यालय में गंभीर चर्चा का विषय बन चुका है।
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