बिहार का अनोखा गांव: नॉनवेज से कोसों दूर, लहसुन-प्याज भी नहीं खाते बुजुर्ग, जानें रहस्यमय कारण

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Samastipur News Bihar

जहानाबाद: बिहार के जहानाबाद जिले के हुलासगंज प्रखंड में एक अद्वितीय परंपरा वाला गांव है—त्रिलोकी बीघा। इस गांव में लोगों ने मांस-मदिरा और यहां तक कि प्याज-लहसुन का भी त्याग कर रखा है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है, और गांव के लोग मानते हैं कि यदि कोई इन नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसके साथ अप्रिय घटनाएं हो जाती हैं। इस वजह से यहां के लोग मांस-मछली से दूर रहते हैं और बुजुर्ग तो प्याज और लहसुन तक नहीं खाते।

मांस-मदिरा के सेवन से होती है अनहोनी

गांव के लोग मानते हैं कि अगर कोई व्यक्ति मांस या मछली का सेवन करता है, तो उसके साथ अनहोनी घटती है। यह मान्यता इतनी गहरी है कि गांव में शादी करके आने वाली बहुएं भी मांसाहार से दूरी बना लेती हैं। हालांकि, समय के साथ कुछ लोग प्याज और लहसुन का इस्तेमाल करने लगे हैं, लेकिन मांस और मछली आज भी वर्जित हैं। गांव के बड़े-बुजुर्ग बताते हैं कि यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है और इसे तोड़ने वालों के साथ कुछ न कुछ गलत हो जाता है।

सदियों पुरानी परंपरा

गांव के लोग बताते हैं कि यहां मांस-मछली न खाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। गांव में ठाकुरवाड़ी है, जहां राधा-कृष्ण की मूर्ति स्थापित है और उनकी नियमित पूजा होती है। ग्रामीणों का मानना है कि इस परंपरा को उनके पुरखों ने स्थापित किया था और जो भी इसे तोड़ने की कोशिश करता है, उसके साथ अनहोनी घटती है। यही कारण है कि गांव के लोग मांस-मछली से दूरी बनाए रखते हैं।

गांव में नॉनवेज खाना सख्त मना

गांव की महिलाएं बताती हैं कि यहां पीढ़ियों से नॉनवेज का सेवन वर्जित है। कई बार गांव से बाहर जाने वाले लोग भी नॉनवेज खाने से बचते हैं, क्योंकि ऐसा करने पर उनकी तबीयत खराब हो जाती है या उनके साथ कोई दुर्घटना घट जाती है। यहां तक कि गांव में किसी भी सामाजिक अवसर, जैसे शादी-ब्याह में भी मांस-मछली का सेवन नहीं किया जाता। गांव की बेटियां भी शादी के बाद इस परंपरा को निभाती हैं और अपने ससुराल में नॉनवेज नहीं खातीं।

ठाकुरवाड़ी और गांव की जमीन

गांव की ठाकुरवाड़ी के नाम पर 3 बीघा जमीन भी रजिस्टर्ड है, जो इस धार्मिक आस्था को और मजबूत बनाती है। ग्रामीणों का कहना है कि ठाकुर जी की आस्था के कारण ही गांव में मांस-मदिरा से दूरी बनाए रखी गई है। गांव के लोग जहां भी जाते हैं, पहले से यह सुनिश्चित कर लेते हैं कि वहां मांस-मछली का सेवन नहीं हो रहा हो।

निष्कर्ष

त्रिलोकी बीघा गांव में आज भी यह परंपरा जीवित है और गांव के लोग इसे पूरी श्रद्धा के साथ निभाते हैं। मांस-मदिरा और यहां तक कि प्याज-लहसुन से भी दूरी बनाकर ग्रामीण अपनी आस्था और पुरखों की परंपरा को सहेज कर रखे हुए हैं। आधुनिकता के दौर में भी इस गांव का यह अनोखा नियम एक प्रेरणा है, जो आस्था और परंपरा को सर्वोच्च स्थान देता है।

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Sonu Kumar

Sonu Kumar is an experienced news editor with over a decade in journalism, currently leading editorial efforts at SamastipurNews.in. Renowned for her commitment to journalistic integrity and precision, Sonu Kumar has developed a reputation for curating insightful, unbiased news content that resonates with readers. She holds a Master’s degree in Journalism and Mass Communication, equipping her with deep expertise in media ethics and storytelling.

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