पूर्णिया: 26 साल पुराने फर्जी एनकाउंटर केस में बिहार की पटना सीबीआई कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। 1998 में पूर्णिया और मधेपुरा बॉर्डर पर संतोष सिंह के फर्जी एनकाउंटर मामले में बड़हरा कोठी के तत्कालीन थाना प्रभारी मुखलाल पासवान को आजीवन कारावास और ₹3 लाख जुर्माने की सजा सुनाई गई है। इसके साथ ही बिहारीगंज थाना के तत्कालीन थाना प्रभारी अरविंद कुमार झा को 5 साल की सजा और ₹50 हजार जुर्माने का आदेश दिया गया है।
1998 में हुआ था फर्जी एनकाउंटर
यह मामला 1998 का है, जब संतोष सिंह, जो एक साधारण किसान थे, को उनके घर से ले जाकर कथित तौर पर गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई थी। उस समय मुखलाल पासवान और अरविंद कुमार झा ने इस एनकाउंटर को अंजाम दिया था। कोर्ट ने 26 साल बाद संतोष सिंह के परिजनों को न्याय दिलाया है, जिससे परिवार को थोड़ी राहत मिली है।
विधायक ने मांगा मुआवजा
मृतक संतोष सिंह के रिश्तेदार और रुपौली विधायक शंकर सिंह ने इस फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि 26 साल बाद उनके परिवार को इंसाफ मिला है, लेकिन यह परिवार जिस दर्द और कठिनाइयों से गुजरा है, उसके लिए सरकार को मुआवजा देना चाहिए। विधायक ने यह भी बताया कि संतोष सिंह पर कोई केस नहीं था, और वह पूरी तरह से निर्दोष थे।
‘जंगल राज’ पर निशाना
विधायक शंकर सिंह ने नीतीश कुमार की सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि वर्तमान में दोषियों को बख्शा नहीं जा रहा है। उन्होंने लालू-राबड़ी शासनकाल पर निशाना साधते हुए कहा कि उस वक्त बिहार में जंगल राज था, जहां निर्दोष लोगों को जानबूझकर एनकाउंटर में मार दिया जाता था।
इंसाफ की लंबी लड़ाई
26 साल तक चले इस मामले में मृतक के परिवार ने लगातार न्याय की लड़ाई लड़ी। आखिरकार, सीबीआई कोर्ट ने दोषियों को सजा सुनाकर न्याय की जीत की मिसाल पेश की है।
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